मोहि हरि! एक तिहारी आस।
और काहु को कहा भरोसो, जिनहिं लगी जम-त्रास।
जनम-जनम बहु भाँति बिगोयो, आयो चैन न पास।
जब-जब आस करी काहू की तब-तब भयो निरास।
तुमही सबके सब कुछ प्यारे! पूजहु सबकी आस।
पामर जीव भूलि धन-जन में करहिं वृथा विश्वास।
परम उदार दयालु दीन-हित सबके दाता खास।
सबकों सब कुछ देहु, तदपि तुम करहु न कबहुँ प्रकास।
ऐसे प्रभुको छाँड़ि करे क्यों जन काहूकी आस।
यासों सबकों त्यागि प्रानधन! आयो मैं तुव पास।
चहों न जोग-भोग कोउ दूजो, करों न दूजी आस।
तुमसों तुमहिं चहों नँदनन्दन! करो आपुनो दास।
प्रीति-पगार चहों मनमोहन! रहे हिये रति-रास।
यही मजूरी, यही हजूरी, निरखों जुगल-विलास।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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