शब्द नये से कुछ चुनकर,
फिर बात पुरानी कहनी है।
अंतर की उदासी कहनी है ,
बढती बैचेनी कहनी है।
तुम सुन पाओ जो बात प्रिये
तुम जिसपे मुस्का ही जाओ
चंदा की चांदनी कहनी है,
मौजो की रवानी कहनी है।
जब साँझ ढले तुम न होते
रह रह के आस बुझती जलती
साँसो की चुभन भी कहनी है,
अश्को की जलन भी कहनी है।
यू तो तुम सुन लेते वह भी
जो मुझसे मैने कहा नही
पर बात तुम्हारी कहनी है,
हर बात तुम्हारी कहनी है।
अबके जो साँझ ढलेगी न
निकले न नया सूरज कोई
रातो की कहानी कहनी है,
फुरसत मे जुबानी कहनी है।
कुछ पल नही अब तो हर पल
बाते कहनी सुननी तुमसे
तुम बिन विरानी कहनी है,
छूटी जो कहानी कहनी है।
कुछ आधी सी कुछ पूरी सी
कुछ बेमतलब कुछ जरूरी सी
बाहो मे सिमटकर कहनी है,
नैनो से छलककर कहनी है।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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