उलझे दुई चंद्र चकोर नैना। छकत नाही प्रेम सुधा पीबत,पीबत पीबत थकै ना। भरयौ रहवै प्रेममद सो,बहवत प्रेम सु नैना। ढूरत पडत अंग लगत,हँसत छुवत बोलत प्रेम बैना। अधर सु अधर मिलावत,...
🌼🌾🌼🌾🌼🌾🌼🌾🌼🌾🌼🌾🌼🌾 एक दिना मणि-खम्भ माहिं मनमोहन ने निज रूप निहारो। आपुहि मुग्ध भये निज छबि पै, को यह कोटि कामसों न्यारो॥ कबहुँ न ऐसो रूप हम देख्यौ जीवन माहिं। कोटि काम क...
कुंज मे श्यामसुन्दर कंघी कर रहे राधे कू। केश नीचे भूमि तक बिखरे हुए। जाने कब से लगे हुए। बहुत धीरे धीरे करते एक हाथ उपर रखे,कंघी धीरे से नीचे लाते। फिर श्यामाजु का मुख देखते...
अनमनी सी नाही मानै राधिके। सखियन मिल सबै घेर लयी,श्यामसुन्दरआवै निकट नाही। सुनत नाही बैन पिय के,अकुलावत अतिहि हिय सो राही। बिनती करै दुई कर जौरे,मान तजौ लली वृषभानु दुलार...
मोहि हरि! एक तिहारी आस। और काहु को कहा भरोसो, जिनहिं लगी जम-त्रास। जनम-जनम बहु भाँति बिगोयो, आयो चैन न पास। जब-जब आस करी काहू की तब-तब भयो निरास। तुमही सबके सब कुछ प्यारे! पूजहु स...
बडी आए पिया तेरी याद तेरे जाने के बाद चाँदनी रातो मे.... तन्हा तन्हा रहती हू दर्द जुदाई का सहती हू हर पल होती बरसात चाँदनी रातो मे.... जब घिर अाते बादल बनकर चंदा या तारे पवन बनकर सब ...
बरसो रे मेघा मेघा बरसो रे मेघा बरसो बन कर तुम प्रेम बरखा बरसो रे मेघा विरहन की अखियों से होकर हृदय में बरसो रे मेघा बरसो बरस कर तुम प्रेम प्रियतम प्रभु रंग दो तन मन को ऐसा तुम ...
मैं हूँ इक टूटा सा घुंघरू जाने कब बिखर गया जो करीब रहे तेरे उनका ही जीवन निखर गया नहीं अब तुम मुझको ढूंढना बर्बाद ही रहने दो यूँ ही फिरूँ मैं बेपता आज़ाद ही रहने दो क्योंकि फिर...
मोर मुकट पीताम्बर पहने,जबसे घनश्याम दिखा साँसों के मनके राधा ने,बस कान्हा नाम लिखा राधा से जब पूँछी सखियाँ, कान्हा क्यों न आता मैं उनमें वो मुझमे रहते,दूर कोई न जाता द्वेत क...
हैं इनायतें कितनी तेरी मैं हक़दार नहीं प्यारे नहीं प्यास मुझको तेरी देखो मैं तलबगार नहीं प्यारे नज़र ए कर्म मुझ पर इतना मेरी सरकार आज करना खाली है आँखें मेरी इनको अश्कों से...
रात्री का समय हो रहा। कई सारी सखियाँ एक कक्ष मे नीचे ही बैठी हुई युगल के वस्त्रो पर मोती टाँक रही है। तभी श्यामाजु भी कक्ष मे प्रवेश करती है,संग मे ललिता सखी व कुछ ओर सखियाँ है...