दुई रस छके पगे आलिंगन।
अभिन्न अंग सुअंग सलोने गात,उलझे परे ढुरे परस्पर अलक सलोने माथ।
जलधर दुई सटै परस्पर हौहि,मिलित होहि रहै चार।
रतनारे चकोर उरझे दुई नैना,जल भरिहै करिहै बरसात।
शीतल चंदन सम ज्वाला अग्नि,उपजै हिय दुई ऐकौ साथ।
त्रुटि ना हटत त्रुटि न छकत,आलिंगन दई त्रुटि नाहि बिसरात।
भुजंग चंदन वृक्ष माहि चढिहै,टटोलतौ सगरौ क्षेत्र रसराज।
कटि कटि कटारी ऐकेहु हौहि,प्यारी ऐकेहु गात सरसात।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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