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वृन्दावन सखी , संगिनी जु 1

"भले वृथा करि पचि मरौ,
ज्ञान गरूर बढ़ाय।
बिना प्रेम फीको सबै,
कोटिन कियो उपाय॥"

वृंदावन !!
लीला स्थल एक सुहाना स्वप्न या एक अद्भुत प्यारी अनुभूति एक भाव लहरी की !
नि:शब्द  !!
वृंदावन का नाम अधरों पर आते ही भाव झरने लगते हैं।एक स्पंदन एक कम्पन  !!
बैठी सोचती है सखी  !!
क्या सच है ऐसा कोई प्रेम देस जहाँ केवल सात्विक प्रेम दर्शन होता है।एक ऐसा लीला राज्य जहाँ केवल और केवल प्रेम की ही बुवाई होती है और प्रेम रस से ही सिंचाई होती है।प्रेम बेल उगती है और प्रेम पुष्प प्रेम ब्यार को महकाते व झरते प्रेम रस की ओस से भीगे आ गिरते हैं।अर्पित हो जाते हैं ब्रह्मांड त्रैलोक्य माधुर्य रसरासेश्वर महाप्रेम पिपासु रसिकेश्वर शिरोमणि एकरूप अभिन्न युगल के चरणों में।रज में समाकर फिर एक नवनिर्मान करने को आतुर।क्या सच !!
सखी के प्रेम रसराज व रसराजरानी के सत्य वृंदावन की अद्भुत प्रेममयी स्मरणीय झाँकी  !!

क्या करे इस पगली ने कभी दरस ही ना किया इस प्रेम राज्य का  !!
पर प्रेम की महक वृंदावन से जैसे आकर छू गई हो इसे।या यूँ कहो कि अद्भुत प्रेम देव ने ही चुन ली हो एक ऐसी राह जहाँ से वृंदावन की विथियों से महक आ गई हो इस भावसखी तक।
ना जाने कैसे कहने को तो इस अद्भुत प्रेम राज्य के प्रेमी जन बाहर आते ही नहीं वृंदावन की गलियों से पर जिन्हें श्यामा श्यामसुंदर जु ने चुन लिया हो ऐसी सखियों को कैसे भी कहीं से भी ढूँढ लाने को  !!बलिहार  !!
सच बलिहार ऐसी पूज्य पुण्यात्मजन सखियों की  !!
वृंदावन प्रेम राज्य का वास मिलने के बावजूद भी अपने युगल के सुख के लिए वे सखियाँ निकल ही आती हैं श्यामा श्यामसुंदर जु के प्रेम निकुंजों से।
बड़भागिनी सखी जिसे युगल रस ने ऐसा छुआ कि वह चल दी उस रस को अन्यत्र और सौभाग्यशाली सखियों को जो कहीं भी हों इस जगत में बंधी बिंधी अलौकिक प्रेम ढूँढती।उनको ढूँढ लेती हैं ये युगल सखियाँ जो असाधारण हैं प्रेममयी  !!
तत्सुख भाव से लीला राज्य से बाहर आ जातीं किन्हीं प्रेम संगिनियों को संग ले जाने उनको उनके अलौकिक प्रेम से मिलाने।

असाधारण प्रेम असाधारण नित्य व सत्य प्रेमी रसिक श्यामसुंदर असाधारण रससिंधु नित्य व सत्य रसिकेश्वरी श्यामा किशोरी जु और असाधारण प्रेम वर्षिणी नित्य सत्य संगिनी हर्षाती सखियाँ।
असाधारण वृंदावन प्रेम राज्य की असाधारण केलि कुंज निकुंजों की असाधारण अनुभूतियाँ।
असाधारण कृपा सागर की असाधारण प्रेम ओस बुँदे गिरती रहीं तो असाधारण प्रेम पर असाधारण वार्ता करेंगे और करते रहेंगे।
जय युगल सखियों की
जय जय श्यामाश्याम
जय जय युगल सरकार
क्रमशः

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