हाय री सखी री बैरी भयो मोको तन
जप-तप होवे नाहि नेम कछु करे नाहि
का बताऊं कहाँ गयो बैरी मन
पिया जावे न जिया सु
आवे ना निंदिया
तब मोसे बैरी होवे
यो अधम मुरख तनवा
गोमुखी यासु ना पकडी जावे
रसना नाम पूरो वांको ना लेनो चावे
ऐरी रसना बावरी राज कहे सारा री
नाम चार तू भी गिन री
तर रह्यो जग सारो
नाम तू वो ही बोल री
प्राणन ना मांगी तोहे
काहे अटक रही
बस नामन वां ही बोल री
पिया -पिया जाने कहे री
नाम वांको ले री
पार पहुचावे नाव वो पकड री
अँखियाँ बडी तरसी रही
कल तो रोय रही
आज पिया-प्रितम आवे
जब पलकन में छिपी री
घुंघट हटाओ री दृगन्
पिया सु काहे शरमाय् हो
देख देख देखो री
बंईया पिया जु ने पकडी है
प्रितम संग नाच रही
प्रिया छवि मुस्काय रही
तू काहे छिपी रही
दरस तो पाय री
एक टक निहार वाने
जां के हेत कब सु जिय री
बैरन ना तरसा मोहे
उखाड अभी फेकूंगी
दासी मैं वांकी
मोरी पियप्रियाजु ने देख री
औ कानन सूनो वाने
पुकार वो जावे है
रहत खोय रहे
पिय ही बिसरावे रे
डुब मरो डुब मरो
युगल पुकार रह्या
मुरख सुन ना पायो वाने
वाचन सुन रसिकन को
शब्द सुन संतन को
भाषण सुन ज्ञानिन् को
खोय रह्यो बैरी तू भी
मुरली कोई कैसी सुनाय ग्यो
कैसो लागे तोहे भी रोग री
हाय मार जीवत मोको
सारा बिसराय होयो
महक सुंगत नासिका युगल की
महक हिय में उतार री
कछु बोले है तोहे तांही
पुनी पुनी सुगंध पाव री
हाय सुंगत वांकी महक
खोय रही तू भी
होश में आ पगली
पिय महक में संदेशो आयो री
तू भी बौरा गई
सुंगनो भुली गई
हाय कुचाल भई
मोरी नईयां खुब ही डुब्य रई
स्परस पवन सु आय री
छुवत पिया अभी
भाग फिर आवे है
हाथन सु पकडि ल्यो
मुरख न बनी रह्यो
अब छुवे
तो बांहन में जकड ही ल्यो
हाय ! छुवत कांप रह्यो
अंग अंग कहर उठयो
सिहर मार गई
तन मन जड हुयो
मार डालो मोको
तन मोरो बैरी भेयो
तडपे तरसे पर
कछु ना साधन हुयो
जप तप भुल गयो
हाल चाल छुट गयो
ऐसो दिन ना आवे
जग में नंगधडंग फिर रह्यो
आज ही चाल तन
आज जी चाल रे मन
अब और न सह्यो जावे
पोटरी पटक चल
कछु साधन ज्यो करत्यो
नैना उठाय मिलती
अब मिलू तो भी
पलकन ना हटायी जाये
हाय हाय हाय री
हाय हाय हाय री
रो ले तू जीभर तन - मन
दिन दो चार सात दिन
मन भरि जावे तब
बोल दिजो मोहे री
साधन करनो पडे
रोग प्रेम में तडप बडे
तृषा बुझ ना पावे
सागर के सनमुख खडे
तृषित तू तृषित ही मरेगो
लिख ले आज
रस में डूब तोहे रस ना छु रह्यो
व्याकुल ही रहुगो
ऐसो काहे बोल रह्यो
बावरो रहेगो बावरो मरेगो
मरेगो बावरो पिया न मिलेगो
युगल जाने कब हिय दरस सु भरेगो
कब आलिंगन में डुबेगो
कब प्रियाजु सेवा में रहेगो ...
तरस तरस हिय भीतर ही जलेगो
... सत्यजीत तृषित ...
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