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भगवत् प्राप्ति सरल है

भगवत् प्राप्ति सरल है

पर धारणा ने उसे असहज - कठिन - दुर्लभ कह दिया है , बना दिया है !
भगवान सर्वत्र है ...
पापी से पापी कहे प्रभु मेरे है वें ना नहीं कहेंगें ...
भगवान को बस मानना भर है
वें कभी भी , कहीं भी नहीं छोडते !
भले विपत्ति हो , नरक हो , पीडा हो , बिमारी हो , ... कभी नहीं - कहीं नहीं !
सर्वत्र है ! बस मानना है कि मेरे है !
माँ की गोद में जाने से बालक को कोई नहीं रोक सकता !
बालक को माँ की याद आवें और रोवें तो माँ भागी भी आती है ...
आत्मा उनका अंश है ... सो अपने अंश का उन्हें ख़्याल है !
वें ही हमारे मूल रूप है ... हम उनसे ही है तो सम्बन्ध तो है ही !
जो भी दिखता है या नहीं दिखता वो
भी वहीं है ... वें कभी अकेला नहीं छोडते !!

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