💐|| सर्वत्र भगवत्दर्शन ||💐
आप चाहते है कि हमारा सर्वत्र भगवत्भाव हो | सच्ची बात तो यह है कि भगवान के अतिरिक्त कोई बस्तु है ही नहीं , बस सर्वत्र केवल भगवान ही भगवान है | पर वे भगवद्- रूप में इसलिये नहीं दीखते कि मनुष्य पूरा का पूरा भगवद्- रूप में उन्हें देखना नहीं चाहता |
सच मानिये , जिस दिन जिस क्षण आपका मन चाहेगा कि मेरी आँखें सर्वत्र भगवान को ही देखें , उसी दिन , उसी क्षण से आपको सर्वत्र भगवान के दर्शन होने लग जायेंगें |
आप देखना चाहते है- सोना, चाँदी , खान पान की बस्तु , पहनने के कपडे , गप्प लडाने वाले मित्र- साथी , सेवा करने वाला नौकर आदि |
तब भगवान सोचते है कि मेरा प्यारा भक्त अभी मुझे इन चीजों के रूप में ही देखना चाहता है तो मैं अपना रूप बदलकर उसके चित्त को क्यों दुखाऊँ ? वह चाहता है सोना- चाँदी आदि देखना तो मैं सोना- चाँदी आदि बनकर ही उसके सामने जाऊँगा | वह भक्त मेरा प्यारा है , मेरे प्यारे को जिस बात में सुख हो , वही मुझे करना है |
इसलिये सर्वत्र भगवान ही भगवान होने पर भी आपको तरह तरह की चीजें दीखती है | ये जब तक दीखती रहेंगीं , जब तक आप इन्हें देखना चाहेंगें | ये सर्वथा आपके हाथ की बात है |
आज आपके मन में केवल श्यामसुन्दर रूप को देखने की इच्छा हो जाये तो आज ही ईट- पत्थर- चूने का अणु - अणु वदलकर श्रीकृष्ण रूप हो जाय |
"यह सर्वथा ध्रुव सत्य है "|
( श्रीराधा बाबा जी की लेखनी से )
💐🌺🌸🌻🍀🌷🌹
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
Comments
Post a Comment