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Showing posts from December, 2015

बहुत

क्यूँ है ज़िन्दग़ी तुझे आज यूँ क़ब्र में भी सब्र बहूत ज़हीर-ओ-हबिब की उल्फ़त में दर्द में ख़ुशबु है बहुत ठोकरों की महफ़िलें सजाई है मेरे क़दमो ने बहुत हर लम्हें को ज़श्न नवाज़ा है किसी ...

लालसा से सहज साक्षात् दर्शन

सारा जगत् ईश्वर के विराटम् स्वरुप की चाहत में लगा है | विराट की विराटता हेतु अपनी सुक्ष्मता से परिचय हो | जो तत्व जितना विराट होगा उतना ही सुक्ष्म भी ... प्रभु की विराटता कही ना ...

लालसा से सहज साक्षात् दर्शन

सारा जगत् ईश्वर के विराटम् स्वरुप की चाहत में लगा है | विराट की विराटता हेतु अपनी सुक्ष्मता से परिचय हो | जो तत्व जितना विराट होगा उतना ही सुक्ष्म भी ... प्रभु की विराटता कही ना ...

आश्चर्य की श्यामाश्याम को पाकर कुछ और भी शेष हो

आश्चर्य । जिन्हें श्यामाश्याम से कुछ वस्तुये मिली और वें हर्ष में है । आश्चर्य । जहाँ श्यामाश्याम के सामने और कोई भी हसरते है । आश्चर्य । जहाँ श्यामाश्याम से केवल सुखी जीव...

भजन किस तरह हो

भजन ... भजन का वास्तविक स्वरूप -- सेवा , त्याग और प्रेम !  भजन करने की विधि और उपाय है -- प्रभु में आस्था , श्रद्धा , विश्वास और आत्मीयता का होना | चार बातों  को मान लेने पर भजन स्वत: हो जात...

राधा कुण्ड और कृष्ण कुण्ड की कथा

(राधा कुंड ओर कृष्ण कुंड की कथा..) कान्हा के लिए राधा के कंगन की खुदाई से बना यह एक कुंड, आज सैकडों आते हैं स्नान करने, धुल जाती हैं बुराइयां हमारे ब्रज की महिमा अनोखी है। यहां आक...

सेवा कैसे हो ? आदि

सेवा "सेवा" प्रथम तो सेवा एक सौभाग्य है । कोई कर्म नहीं , जै जै की ही कृपा है । कर्म कहने में लालच है , लोभ है । और सौभाग्य -कृपा मान लेने में रस और नित्य सेवा का नित्य नव आनन्द। कर्म ...