क्यूँ है ज़िन्दग़ी तुझे आज यूँ क़ब्र में भी सब्र बहूत ज़हीर-ओ-हबिब की उल्फ़त में दर्द में ख़ुशबु है बहुत ठोकरों की महफ़िलें सजाई है मेरे क़दमो ने बहुत हर लम्हें को ज़श्न नवाज़ा है किसी ...
सारा जगत् ईश्वर के विराटम् स्वरुप की चाहत में लगा है | विराट की विराटता हेतु अपनी सुक्ष्मता से परिचय हो | जो तत्व जितना विराट होगा उतना ही सुक्ष्म भी ... प्रभु की विराटता कही ना ...
सारा जगत् ईश्वर के विराटम् स्वरुप की चाहत में लगा है | विराट की विराटता हेतु अपनी सुक्ष्मता से परिचय हो | जो तत्व जितना विराट होगा उतना ही सुक्ष्म भी ... प्रभु की विराटता कही ना ...
आश्चर्य । जिन्हें श्यामाश्याम से कुछ वस्तुये मिली और वें हर्ष में है । आश्चर्य । जहाँ श्यामाश्याम के सामने और कोई भी हसरते है । आश्चर्य । जहाँ श्यामाश्याम से केवल सुखी जीव...
भजन ... भजन का वास्तविक स्वरूप -- सेवा , त्याग और प्रेम ! भजन करने की विधि और उपाय है -- प्रभु में आस्था , श्रद्धा , विश्वास और आत्मीयता का होना | चार बातों को मान लेने पर भजन स्वत: हो जात...
(राधा कुंड ओर कृष्ण कुंड की कथा..) कान्हा के लिए राधा के कंगन की खुदाई से बना यह एक कुंड, आज सैकडों आते हैं स्नान करने, धुल जाती हैं बुराइयां हमारे ब्रज की महिमा अनोखी है। यहां आक...
सेवा "सेवा" प्रथम तो सेवा एक सौभाग्य है । कोई कर्म नहीं , जै जै की ही कृपा है । कर्म कहने में लालच है , लोभ है । और सौभाग्य -कृपा मान लेने में रस और नित्य सेवा का नित्य नव आनन्द। कर्म ...