मैं पिय के गुनगन गाऊँ री
मैं पिय के गुनगन गाऊँ।
मेरे पिया मेरे हिये बसत हैं, मैं सुमिरि-सुमिरि सचुपाऊँ री।
मेरे पिया को सकल पसारो मैं देख दंग रह जाऊँ री।
मेरे पिया अग-जग के नायक, मैं उनके बल गरबाऊँ री।
मेरे पिया दीनन के पालक, मैं निज में दैन्य जगाऊँ री।
मेरे पिया करुना के सागर, मैं निर्भय गुनगन गाऊँ री।
मेरे पिया हैं सब के स्वामी, मैं सबसे नेह निभाऊँ री।
मेरे पिया हैं रसिक सिरोमनि, मैं उनकों नाचि रिझाऊँ री।
मेरे पिया हैं खेल-खिलारी, मैं निजको गेंद बनाऊँ री।
मेरे पिया हैं अग-जग प्रेरक, मैं उनको जन्त्र कहाऊँ री।
मेरे पिया हैं प्रीति-भिखारी, मैं अनुदिन प्रीति बढ़ाऊँ री।
मेरे पिया ही को है सब कुछ, मैं अपनो कछू न पाऊँ री।
मेरे पिया हैं दुरगुन-द्वेषी, मैं दुरगुन सों घबराऊँ री।
मेरे पिया सन्तन के प्रेमी, मैं सन्त-सरन में जाऊँ री।
मेरे पिया ही तो हैं सब कुछ, मैं निजको अलग न पाऊँ री।
मेरे पिया बिनु कहूँ न कुछ भी, मैं आप न कुछ रह जाऊँ री।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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