तुम्हीं हो मेरे सब कुछ स्याम।
तुम्हें छोड़ है कहीं न कुछ भी, तुम सब के निज धाम।
तुम ही साधन-सिद्धि प्राणधन! तुम ही मेरे साध्य।
तुम ही मेरे ज्ञान-ध्यान हो, तुम ही परमाराध्य।
तुम्हें पाकर मैं हुआ अकाम।
तुम ही मेरी भक्ति-शक्ति हो, तुम ही राग-विराग।
तुम हो तन-मन-प्राण प्राण-प्रिय! तुम ही भाग-सुहाग।
तुम्हींमे पाते सब विश्राम।
तुम ही मेरे स्वधन-स्वजन हो, तुम ही पुत्र-कलत्र।
तुम ही सुहृद् शत्रु भी तुम ही, तुम ही प्रियतम मित्र।
तुम्हें तजि अपना और न श्याम।
तुम ही गुरु शिष्य भी तुम ही, तुम ही शासन-शास्त्र।
तुम ही से अनुशासित होते प्रियतम! प्राणीमात्र।
तुम्हीं हो मेरे परमाराम।
तुम ही ‘मैं’ तुम ही ‘तुम’ प्यारे! ‘मैं-तुम’ के आधार।
मैं तुमका भी लेश न जिसमें वह तुम हो अविकार।
कहूँ कैसे प्रिय! तव गुणग्राम।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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