कुंज मे प्रियाजु
एक वृक्ष से पीठ लगा बैठी थी
और नीलमणि।
वो रसराज उनके अंक मे
सर रख वही लेटे थे।
मुख चंद्र की शोभा निहारते....
राधे के बाए कर्ण के पास
एक लंबी सी लट लटक रही थी।
वो उनकी गोद मे सर रखे
उस लट से खेल रहे थे।
कभी अंगुली पर लपेटते
तो कभी कुछ नीचे खीचते।
राधे तो खोयी सी ही बैठी थी
इनके मुख को एकटक देख रही
तभी....
आकाश मे काले मेघ उमडे
उन्हे देख
सामने खेल रहे मयूरो ने अपने पंख पूरे खोल दिये...
मयूरो को यू देख
श्यामा खिलखिला कर हस दी।
तब श्यामसुन्दर का ध्यान उस ओर गया...
युगल के ह्रदय मे नृत्य के भाव उमड आये..
और भावो के उमडते ही
सखिया स्वतः ही...
सब वाद्य ले आयी...
फिर जाने क्या महाआनंद हुआ होगा...
उनकी हसी
संगीत से भी मधुर...
बासुरी से भी मिठी......😭😭😭
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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