नित नव लीला नव नित माधुरी
नित नव श्यामा श्याम कली
नित नव कुसुम नित नव भोर
नित नव उत्स विवर्धित कीर्ति
नित नव सिंगार वस्त्र नव नित
नित नव पिय अधरन स्फुर रस
नित नव हर नित नव हरि मिलित
नित हरिका हरित नित नव प्रेम कलि
नित नव तृषा नित नव तरंगिनी
नित नव ताल-राग वाद्य वादिनि
नित नव ठुमुकत नाचत सजनी
नित नव भाव चित्र-विचित्र सखी
नित नव सुकुमार-सुकुमारी होत
नित नव रचत-राजत लीला न्यारी
--- सत्यजीत "तृषित"
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तव रँग-रँगिनी विलसत मम उर
कुँजन विलास छलकत तव उर
उछल-छलकत उन्मद विलसे तव रस महकत मम उर
नैन निहारे तव नैनन कहे रैनन की हर लहरन को भरपूर
--- सत्यजीत "तृषित"
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