युगल शीतल पवन मे घने वृक्षो के नीचे बैठे है।
एक सखी चरणो मे बैठ युगल के चरणो को चूमती है।युगल के सुकोमल चरण मे बडी बडी सोने की दोहरी पायल है,जिसका एक भाग अंगुलियो के मूल तक व एक भाग कुछ अधिक ऊपर है।युगल दोनो चरण लटकाए बैठी है।बहुत सारी सखिया है,कोई कोई किसी वृक्ष से लगकर खडी है।
श्यामाजु पूछती है...सखी तू बस हमारे चरण ही क्यू चूमती है?
सखी बोली....श्यामाश्यामु,आपके प्रत्येक अंग मे आप पूर्ण ही दिखाई देते है।कहकर मुस्कुरा देती है....
श्यामाजु उसे पास बैठने का संकेत करती है।
सखी बैठते हुए प्रश्न करती है...
श्यामाजु,जब श्यामसुन्दर बंशी बजाते है तो सब अपनी सुध बुध भुला देते है तब यदि आप बंशी बजाओ तो क्या होगा?
युगल मुस्कुराते है।
सखी कहती है,श्यामाजु श्यामसुन्दर तो बंशी मे राधे राधे पुकारते है,तब आप क्या पुकारोगे?
श्यामसुन्दर कहते है....सखी,जब मै बंशी बजाता हू न... मै उसमे राधे का नाम पुकारता हू.....तब तुम सब उस नाम को सुनकर ही तो अधीर होती हो,इसमे मेरी बंशी या मै कुछ न करता हू।
ये प्रियाजु का नाम ही ऐसा है की स्वयं मै भी उस बंशी के स्वर मे बहने लगता हू।
(सुनकर सब सखिया अत्यंत आनंद मे है)
तभी प्रियाजु श्यामसुन्दर की बंशी ले लेती है
( यह कुछ लम्बी सी पतली बाँसुरी है)
प्रियाजु कहती है चल मै बाँसुरी सुनाती हू आज।
प्रियाजु मुस्कुराकर श्यामसुन्दर की ओर नयनो के कोर से देखती हुई कहती है किंतु मै भी बंशी मे राधे ही पुकारूगी।
किंतु तुझे सब देखना है तो सुन न पायेगी तू।
सखी हाँ मे सर हिला देती है।
प्रियाजु बंशी को अधरो से लगाकर बजाना प्रारम्भ करती है,नयन बंद है।
धीरे धीरे सब सखियो के व श्यामसुन्दर के नयन बंद होने लगे,जो जिस अवस्था मे है उसी मे स्थिर हो गये....
वो सखी सब ओर देख रही।
सब बहुत हल्के हल्के हिल रही है,वायु मे हिलते किसी पत्ते की तरह।
कुछ समय बाद स्थिति ऐसी हो गयी की सबके नैन बहने लगे,अश्रु की धारा सबके कपोलो पर होती हुई वक्षस्थल पर गिरने लगी।
यद्यपि सखी को बाँसुरी सुन नही रही किंतु वह स्वर मानो प्राणवायु मे घुल भीतर जा रहा हो....
नयन तो उसके भी बह रहे है।
ये सब देख वह अपने दोनो हाथो से प्रियाजु की बंशी पकड लेती है....
प्रियाजु नयन खोल देती है,बंशी बजना बंद हो गया।
धीरे धीरे सब पुनः चेतन होने लगते है।
श्यामसुन्दर सखी की ओर देख पूछते है....सुन ली बाँसुरी,क्या देखा सखी?
इतना सुनकर सखी बिना कुछ कहे दोनो हाथो से अपना मुख ढककर रोने लगती है....
श्रीजु मुस्कुराकर उसकी ओर देख कहती है.....
चल पगली.....
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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