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निकुँज गिलहरी भाग 16

भाग-16

यहाँ श्यामसुंदर अपनी प्रियतमा के ख्याल-ओ-ख्वाब में हैं और प्रियतमा
प्रियतमा कहाँ हैं क्या कर रही हैं।
आहा।।आश्चर्य
एक तरफ श्यामसुंदर और यहाँ श्यामा जु
अद्भुत आश्चर्य
दो तन एक जान
सत्य सत्य अनकहा अन्जाना सा सत्य
ऐसा प्रेम परम प्रेम कैसे कहूँ अब
क्या बिसात दूँ
मेरे लफ्ज़ों में क्या लहिजे में भी सामर्थ्य नहीं
कैसे कुछ लिखुं इस विलक्षण प्रेम पर
हे मेरे प्रियतम क्षमा क्षमा
साहस करूँ भी तो ना कह पाऊं
अपने भावों से उभरना
एक अंतिम प्रयास करना मेरा दुःसाहस

राधे श्री राधे
एक ही समय पर
भिन्न स्थिति में भिन्न स्थान पर
दो जिस्म पर एक जान
भाव विरह हो या मिलन
एक आश्चर्यजनक विलक्षणता प्रेम की
समाज और शास्त्रों से भी परे की परम अवस्था
भिन्न होते हुए भी पुरातत्व अभिन्नता

श्यामा जु यहाँ सखियों संग दुसरे भव्य कुंज में विराजमान हैं।ताम्बुल की महक से बने हाथ।प्रियतम के लिए खुद अपने हाथों से बनातीं नेह से सजातीं और अपनी छुअन से महकातीं प्रिया जु भावभावित हुईं।यही ना कि आश्चर्य कैसा
ये तो वे सदा से ही करतीं हैं
आश्चर्य इसमें नहीं नि:संदेह
प्रिया जु ने बिल्कुल वैसे ही वस्त्र कान्हा जु के लिएतैयार करे हैं जैसे वहाँ लाल जु ने किए हैं अपनी प्रियतमा के लिए।आश्चर्य यह कि जहाँ श्यामा जु की साड़ी नीली है वहाँ लाल जु का पीताम्बर पीला है।वही पुष्प वही महक वही आभा सब वही।
श्यामसुंदर जु ने जहाँ नीचे से जूही के पुष्पों का उपयोग किया है और फिर चमेली मोगरे और कलियों को सजाया है बिल्कुल वैसा ही प्रिया जु ने ऊपर से नीचे की और पुष्पों को उनकी धोती पर सजाया है और पीताम्बर पर साड़ी के पल्लु के जैसा ही अद्भुत पुष्प श्रृंगार।और जैसे उन्होंने श्यामा जु की कंचुकि पर गुलाबी लाल गुलाब की पंखड़ियों से सजावट की है वैसे ही श्यामा जु ने लाल जु की पगड़ी को लाल गुलाबी गुलाब की पंखड़ियों से सजाया है।और फिर उस पर मोर पखा लगाकर पूरे श्रृंगार पर चार चाँद लगा दिए हैं।इस सबसे हटकर श्याम जु की मलमल की नीली कुर्ती अहा।।श्री जु की नीली साड़ी के रंग के पुष्पों से सजी है और उसमें भी सफेद मोगरे की कलियों का मिलन।ज्यों आसमान में सफेद और नीले आवरण में प्रियाप्रियतम का ही मिलन हो।है ना अद्भुत
श्यामा जु भी वैसे ही भावविभोर हो खुद ही आज सब करतीं हैं और कहतीं हैं

ना जाने की बात करो तुम ना रोने की बात करो
बात ही करनी है तो प्रियतम एक होने की बात  करो
भाव बिना ज्यों छंद अधूरा अधूरा सुमन अगर मकरन्द नहीं
जीवन सफ़र अधूरा है यदि सहगामी अनुबन्ध नहीं
बिन स्याही के कोई वर्तिका बिन राही ज्यों राह  कोई
प्रेम अधूरा रह जाता यदि अलग अलग हो चाह  कोई
प्रेमसूत्र आलिंगन होकर ना ढोने की बात करो
बात ही
बिना रंध्र मुरली क्या मुरली बिन मुरली के श्याम कहाँ
बिना श्याम राधा मीरा के प्रेमग्रन्थ में नाम   कहाँ
दिन बिन रात रात बिन तारे बिन तारे कब पूर्ण   गगन
नदिया मृत जैसे बिन पानी बिना पुष्प जैसे   उपवन
प्रेमांकुर वट-वृक्ष बनेगा तुम बोने की बात   करो बात ही
बरखा बिना अधूरा सावन बिन सावन सारे  मौसम
बिन मौसम के राग अधूरे बिन सुर के जैसे   सरगम
बिन धड़कन के सूनी नाड़ी बिन नाड़ी ज्यों देह  नहीं
मैं तेरे तू मेरे बिन नहीं अब इसमें संदेह नहीं
प्रेमसिंधु में हाथ पकड़कर बस खोने की बात   करो
बात ही करनी है तो प्रियतम एक होने की   बात करो
हाँ, एक होने की बात करो बस एक होने की  बात करो

ऐसे ही डूबी डूबी सी प्रिया जु भीगी भीगी प्रीत के रंगों में रंगी हुईं सी।
उन्होंने श्याम जु के लिए गहने भी पुष्पों से ही बनाए हैं।प्रीत के धागों में पिरोकर।मोगरे के सफेद फूलों की माला नीले रंग के गुलाब से कर्णकुंडल और हाथों के लिए लाल रंग की कलियों से सुंदर कंगनों को प्रीत की डोरी से बांधी हैं।उनकी कटिबद्ध के लिए निर्मल जूही के पुष्पों का उपयोग किया गया है।
दोनों के एक से हाव भाव अलग होकर भी एक ही होने का एहसास भी नहीं कह सकते।इनका पल पल हर क्षण एक दूसरे बिन अधूरा और पूरा भी।
क्रमशः

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