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सिहरन हो तुम , संगिनी

सिहरन हो तुम
___हो भाव तुम्ही
कल्पित जीवन
___प्रादुर्भाव तुम्ही

उन्माद हो तुम
___अरु स्नेह तुम्ही
आत्म परिवर्तित
___पर देह तुम्ही

श्रृंगार हो तुम
___सौंदर्य तुम्ही
अलंकार भी तुम
___माधुर्य तुम्ही

प्रीत हो तुम
__अब घृणा तुम्ही
सत्य भी तुम
__मृगतृष्णा तुम्ही

पीर हो तुम
___मरहम तुम्ही
दर्द हो तुम
___आराम तुम्ही..

----सवाल तुम्ही
ज़वाब तुम्ही...

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