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ओ मेरे प्रियतम् , संगिनी

ओ मेरे प्रियतम
तुमने की महोब्बत मुझसे प्रियतम
मुझे खुद से महोब्बत होने लगी
ओ मेरे प्रियतम
तुमने जो चाहा मुझे प्रियतम
मुझे जीने की चाह होने लगी
ओ मेरे प्रियतम
तुमने जो छू दिया मुझे प्रियतम
मुझे खुद को छूने की आदत हो गई
ओ मेरे प्रियतम
देखा जो अक्स तेरा आईने में प्रियतम
मुझे संवरने की आदत हो गई
ओ मेरे प्रियतम
मुस्करा दिए हो जो तुम प्रियतम
मैं हर पल खुश रहने लगी
ओ मेरे प्रियतम
देते हो तुम इतना स्नेह प्रियतम
मुझे और कुछ न मांगने से राहत हो गई
ओ मेरे प्रियतम
तुम हो मुझमें ही प्रियतम
अब कहीं तुम्हें और ढूँढती नहीं
ओ मेरे प्रियतम
तुम समाए हो यूँ प्रियतम
तेरे आगोश में हूँ कहीं और अब रहती नहीं
ओ मेरे प्रियतम
तुम जानते ही हो अनकही भी प्रियतम
मुझे कुछ ना कहना मौन ही हो गई
ओ मेरे प्रियतम
तुम हो मेरे इस कदर प्रियतम
कि मुझे तुमसे इश्क है कहने की भी जरूरत नहीं
ओ मेरे प्रियतम
तुम दूर जाते ही नहीं प्रियतम
अब पुकारूं किसे हर आहट हो तुम ही
ओ मेरे प्रियतम
तुम धड़कन दिल की
रूहानियत रूह की
तुम नब्ज़ हो
हलचल देह की
तुम दृष्टि आँखों की
ध्वनि हो तुम
सुनती भी तुम्हें ही
रगों की रवानगी तुम
श्वासों में जी रही तुम्हें ही
कदम मेरे चलते तुम हो
कर मेरे करते तुम हो
आवाज मेरी कहते तुम हो
ओ मेरे प्रियतम
मैं हूँ गुम तुझमें
तुम मुझमें हर कहीं

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