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मैंने सदियां जी हैं कान्हा , संगिनी

मैंने सदियां जी हैं कान्हा
तेरे प्यारे आलिंगन में
तब से खुशबू महक रही
ओ साथी मेरे मन में
भाव पढ़े तूने मेरे
जब मुझे स्पर्श किया
मन पंछी उड़ने को आतुर
जिसे तूने अर्श दिया
घर आंगन और किवाड़ों पर
वो इंतजार ना भूलूंगी
रूठ के जाना और मनाना
प्रिय मनुहार ना भूलूंगी
जब तक सांसें ना टूटती
ये एहसास ना भूलूंगी
प्रीति हूँ तेरी पगली
ये तेरा प्यार ना भूलूंगी

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