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युगल मंगला छब दर्शन , संगिनी जु

आज भोर में सखियन ने स्यामा स्यामसुंदर जु की मंगला छबिन कू कछु भिन्न निरख्यौ और धीर अधीर हुईं जब दृगन भर छबि कौ अबलोकन करन धांई तो याकै मुखन तैं हांसि कै फुह्बारे और अखियन सौं नेह छूटि रह्यौ।
हुओ कुछ यों कि आज स्यामसुंदर राधेरानी सौं मुख फेरै बैठौ है ज्यूं अतिहि मान करौ हौं राधै सौं और राधै याकी यो रंगभरि भोरि छब तें बलिहारि जाए रही !सम्पूर्ण रात्रि यानै छिनहु की नांई रसभींजि बिताए दी और भोर भई ते मुखन यों फुलाए लियो जित भोर तें कोए बैर भयो कि काहे भोर तनिक सी जल्दी भई।
स्यामा जु अद्भुत रसपगी रसभीनि अट्ठकेलि करतीं प्यारे स्यामसुंदर नै मनाए रहीं पर यापै तौ यों ब्यापै ज्यूं प्रीत कौ रंग गहरो चढ़यौ।
सखियन या छबि अबलोकि तें जानि यो स्यामसुंदर तनिक राधारूप रसरंग में आज ऐसो रंग्यौ ज्यूं स्यामसुंदर ना है !स्वै कू राधा ही समुझै री !
अब राधेरानी कब सौं मनाए री पर यो राधा पै तो कोए असर ही ना होय !
सखियन यौ छबि निरख निरख हांसि और उधर राधेरानी मोहिनिप्रिया कू या छबिन तें बलि बलि जाए यातै सहचरनि बन सेबासुख चाहै !ऐसी बाँकि चितबन तै बलिहारि बारि !
सांचि कहूँ  !दोऊ सुंदर स्याम स्यामा परस्पर सुख हेत अभिन्न होवै ते भी कबहूं कबहूं सहचरनि रूप धर परस्पर कौ सेबासुख चाहैं और कबहूं राधा तें कबहूं स्याम रस मगै सखिन कू सुख देय कै सुख में डूब जातै !
अद्भुत रसपगी प्रीतिनहु  रसिकन बिनू कोऊ समझि सकै ना !!

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