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मेरी वन्दना , मेरी निधि तुम ही हो ... मृदुला जु

*मेरी वन्दना , मेरी निधि तुम ही हो ...*

श्यामसुन्दर क्या कभी जीवन संभव है तुम्हारे बिना प्रियतम ॥जीवन के जीवन तो तुम ही हो प्यारे तो बिना तुम्हारे कहाँ कोई अस्तित्व भी मेरा ॥तुम्हारे होने से ही तो मेरा होना है उर धन मेरे ॥जो तुम साथ नहीं तो मैं हूँ ही नहीं ॥ तुम्हारा वियोग मेरा स्वयं से ही तो वियोग है प्रियतम ॥क्या कभी स्वयं से स्वयं को दूर किया जा सकता है । क्या स्वयं को भूलना संभव है प्यारे ॥मुझमें अब मैं शेष ही नहीं केवल तुम ही तुम तो हो मुझमें प्यारे ॥ प्यारे तुम ही तृषा हो मेरी और तुम ही तृप्ति ॥तुम ही पीडा हो और तुम आराम ॥ संयोग भी तुम हो और वियोग भी तुम ॥ जागृति भी तुम्हीं स्वप्न भी तुम्हीं ॥चेतना भी तुम्हीं चेतनता भी तुम्हीं हो । समस्त पुण्य भी तुम हो और पुण्यफल भी तुम्हीं ॥ ज्ञान भी तुम्हीं भक्ति भी तुम्ही हो ॥ मेरी स्मृति भी तुम हो और विस्मृति भी तुम हो बोध भी तुम हो प्यारे और अबोधता भी ॥ समस्त क्रियायें भी तुम और क्रियाशून्यता भी तुम ॥मेरा समस्त सौंदर्य भी तुम हो और गुण भी तुम ॥मुझमें ऐसा कुछ है ही नहीं जो तुमसे परे हो ॥ प्यारे ये प्रेम भी तुम हो प्रेमी भी तुम्हीं ॥श्यामसुन्दर ये कैसा विचित्र संबंध है प्रियतम की कोई ऐसा पल ही नहीं मेरा जहाँ तुम नहीं ॥तुमसे क्षण भर की भी दूरी स्वीकार ही नहीं प्यारे ॥प्रियतम ये श्वासें तुम्हीं से प्राणित हैं ये हृदय तुमसे ही स्पंदित ॥ जीवन का प्रतिक्षण केवल तुम्हारे ही लिये है ॥ मैं हूँ ही तुममें तुमसे तुम्हारे लिये ही प्रियतम ॥ तृषित ।। जयजयश्रीश्यामाश्याम जी ।।

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॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग

वृन्दावन शत लीला , धुवदास जु

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