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Showing posts from June, 2016

श्यामसुंदर पीताम्बर ओढ़े नीलाम्बर श्यामा प्यारी जू , तृषित

श्यामसुंदर पीताम्बर ओढ़े नीलाम्बर श्यामा प्यारी जू सखी जाए के चरण छुए चूमे दोऊन के पद कमल जी धोए के फिर चरणामृत खुद पर उंडेले करे नित प्रेम स्नान री अखियां खोले देखे मुख छ...

निकुँज गिलहरी भाग 22

भाग-22 श्री प्रियतम ने जब श्री राधा जी को अंक में ले लिया तो उस समय के आनन्द का क्या बखान करूँ।मानो चन्द्रमा का जो प्रकाश हो वो सब चन्द्रमा में ही सिमट कर चन्द्र-प्रकाश एक ही में...

गोपाल'संग'कजरी गाय भाग -5

गोपाल'संग'कजरी गाय-5 कजरी को जैसे ही मईया स्पर्श करतीं हैं तो वो आज पहली बार सिहर जाती है क्योंकि उसे आज मईया की उंगलियों के स्पर्श में श्यामा जु के स्पर्श का एहसास हो रहा है।र...

गोपाल'संग'कजरी गाय भाग-4

गोपाल'संग'कजरी गाय-4 वंशी बजाते श्याम कजरी के संग नंदभवन तो पहुँच जाते हैं लेकिन कजरी अभी भी गहरे भावावेश में ही है।पूरी राह वो श्यामसुंदर के दिव्य पर धूल धूसरित व श्यामा जु ...

बेबस सी ऑंखें ढूंढ रही है तुमको.. संगिनी

बेबस सी ऑंखें ढूंढ रही है तुमको.. काश कि इस दुनिया में तुम ही तुम होते.. हरी बोल जाने कब ये अश्कों से भीगी रात जाए जाने कब होंठों से तेरी बात जाए जाने कब बन जाए वजह तू मेरे जीने की ...

बाहर बरसात सावन की , संगिनी

बाहर बरसात सावन की भीतर है आग विरह की बरस कर भड़का रहा कोई प्यास मिलन की नहीं है दूर पर कोई नहीं पास भी राधे बैठीं हैं तन्हा है उनको कान्हा का इंतजार भी ना जाने कहाँ खोई सी किस ...

सुबह की किरण बोली उठ देख क्या नजारा है , संगिनी

सुबह की किरण बोली उठ देख क्या नजारा है मैने कहा रूक पहले दर्शन करलू मेरे श्याम का जो सुबह से भी प्यारा है जय श्री श्याम हाँ पता है साँवरिया.... हमें तुम्हारे ये इतराने का राज़.... ...

सखी नृत्यांगना नित्य प्रति प्रियतम के द्वार , एक युगल संगिनी

सखी नृत्यांगना नित्य प्रति प्रियतम के द्वार रिझाने मनाने जाती सखा को नव किशोरी राधे के संग सखी भाव निभाती वो गजरे बिंदिया पायल से किशोरी को सजाती देख सुंदर सलोनी को खुद क...