मधुर मधुर नर्म कर कमलों से सखी प्रिया जु का श्रृंगार कर रही है और उस श्रृंगार में छुपे माधुर्य का रहस्य जो प्रिया जु ही जानतीं हैं वह प्रियतम श्यामसुंदर ही हैं। अधरों और नय...
श्यामा जु के श्रृंगार में श्यामसुंदर जु का माधुर्य प्रकृति आज अप्राकृतिक श्रृंगार करने बैठी है.....कैसा श्रृंगार और कहाँ.... अद्भुत अभिन्न युगल प्रेम की अद्भुत अभिनव अभिव्...
श्री युगल के हृदय की मन की परस्पर के सुखार्थ की अनन्त वृत्तियाँ ही सखियाँ है ॥जैसे सागर की लहरें सागर से अभिन्न ।वे रस आधिक्य में रस जडता में रहते हैं तब यही वृत्तियाँ लीला ...
अनन्त सखियाँ ... अनन्त सेवा अनन्त सखियाँ है ... अनन्त कुँज है । अनन्त सेवा । भावगत पृथकता से कभी सम्पूर्ण अभिन्न स्थिति परस्पर एक ही पथ पर , एक ही समय चल रहे पथिक में होती नहीं । एक ...
सेवातुर युगल प्रीति अर्धरात्रि उपरांत प्रेम श्य्या पर परस्पर निहारते श्रीयुगल .... निंदिया नहीं.... नयनों में परस्पर रूप माधुरी भरी हुई ....ऐसे जैसे अद्भुत प्रीति के पांवड़े में ...
आज भोर में सखियन ने स्यामा स्यामसुंदर जु की मंगला छबिन कू कछु भिन्न निरख्यौ और धीर अधीर हुईं जब दृगन भर छबि कौ अबलोकन करन धांई तो याकै मुखन तैं हांसि कै फुह्बारे और अखियन सौ...
प्रियमन-भाविनी ममस्वामिनी वंशी ध्वनि अनंत अनंत युगों से जैसे हिय में नाद बन समाई है।सुनती हूँ और तलाशती भी हूँ कहाँ से किधर से निर्झरित यह मधुरिम ध्वनि सुनाई आती पर ना जान...