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पिया ना आये , भाव , संगिनी जु

हाय सखी !!
देर भई पिया ना आए
जाने कौन घड़ी किस राह धाय
जिया मोरा तड़प तड़प जाए
ऐ री !!
राह तकूं सखी नयन बिछाए
कंटक चुगूं पलकन सों बुहारूं
हाय सखी !!
देर भई अज पिया ना आए
मोरा जिया घबराए रोम रोम पुकार करै
असुवन मोती हार पहरूँ
हिय लग अंगिया भीगी जाय
हाय का करूँ कासे कहूँ
मैं बिरहणी रसअंग नहाए
रतिया निगोड़ी पपीहरा गाए
कोकिल कूहु कूहु हिय जराय
महक पुष्पन सों मकरंद झरै
हाय ज्यूं तपन अग्न सी अंग जराय
हाय री सखी !!
काहे मोरे पिया ना आए !!
कारि रतिया अकेली डर मोहे लागै
सर्प दंस सी मोहे डस डस जाए
ऐ री पिय मिलन आस सों सखी
जुगल रसफल उचकाए हिय रस उफनाए
छिन छिन प्राणन छूए मेरो कर
कुच जंघ रसमंडल थर्राय
सिहर गए रोम सखी
रस भर भर छलकाय
हाय सखी !!
का करूँ मोरा पिया ना आए !!

अति बिकल अधीर भई जब
पिया मोरा छुप छुप होले पग धराए
जड़ जाती रसमाती मोरी देह कों अंग लगाय
हाय री सखी !!
मोरा पिया ना आए !!
रसालिंगन दियो तब गहन अंग मद भर
पीवै रस अति आकुल ब्याकुल
काहै सताए
रख कर अधर तैं
रसमग होय हिय लग अग्न बुझाए
अंगिया चोली सब तीतर बितराए
नीलांबर पीतांबर ज्यूं उरझाए
उरोजरस चाखै भर अधररस ललचाए
उदर किंकणी निंवि कंचुकी बंधन छुड़ाए
अघै ना थकै रसभ्रमर चूर मद होय जाए
भेद सब भूलि हाय लाज सरम सिधाई
पिया मोसों मैं पिया सों अंग अंग मिलाए
पी पी पिया री पीबत पीत भई प्रिया न अघाए
दोऊ जन डूबै ऐसे कबहूं मिलै ना बिछुड़ै जैसे
पल बीते घड़ियाँ बीती जीबन पर्यन्त रहै समाए
हाय री सखी !!
मेरो पिया ना आए !!

कोमलांगि अंगिनि कोमल अंग एकहू भए
छिन छिन रह्यो समाए और
छिन छिन लियो नयन मिलाए
हाय एकहू तनप्राण कू प्रेम रोग सखी
रस बहै अनबरत नहाए नयनन सों नीर बहाए
का कर रसधार रोकै ना रूकै
ऐ री दोऊ जन बिलख बिलख एकरंग पाए
धीर अधीर मन ब्याकुल
पल भर दूरी सही ना जाए
ऐ री मिलित तनु मिलि मिलि रहाय
काहै ना सखी मोरे पिया आए !!

रसमगे दोऊ अधीर जनु
हाय कौन सखी जाए समझाए
देर अति भई निशा ऊषा दिए भुलाए !!

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