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प्यारी पद दीपावली पूर्व

ओ रे दीवलै! ओ रे दीवलै! मौरी तौहरी एकहु गाथा।
जरा तू भी! जरी ह्यौ भी! देखि देखि हमहु जग हाँसा।
तोहै भरिकै जरावै,मोहै भराकौ रितावै   
तोमै मोमै प्यारे! तोमै मोमै प्यारे! नेक इतनौ सौ अंतर लागा।
तोहै मूकहु मानै,मोहै मूकहु च्हानै
तोहै मोहै प्यारै! तोहै मोहै प्यारै! निज मन सो चलावन च्हाता।
हित साँई जरयौ तू,हित साँई जरी मै
जलै जब लौ! जलै जब लौ! "प्यारी" साँई जराए राखा।

***

लाल लली नैननि द्वीप जरै।
रस घृत सौ भरै दृगन दीवलै,कारी रैख अंजन बाती लगै।
द्वीप जरा दोउ देखै आपस रस,दैखत ओरि जोरी जोत जगै।
बढत बढत रस भई यौ शौभा,अंग अंग अनगिन द्वीप बनै।
जोत अनोखी तै जग-मग कुंजन,दीवाली ऐसौ "प्यारी" कुंज मनै।

"शुभ दीपावली"

***

तरणि कुमुद बैठे प्यारी पिय।
रहै मुख सम्मुख मिलै नैन दोउ,उठै जमुन भाँति नव तरंगनि हिय। 
प्यारी भर कर डारै पिय ओरि,हसै मुस्काए पिय कछु ना कियै।
पुनि डारि प्यारी पुनि हैरे हसै,कर पकर खैच पिय अंक लियै।
लिपटै उर तै बहु खेल करै,"प्यारी" दोउ रंगीलै रंग खेल कियै।

***

तीज हरियाली सावन आई।पिय चौप झूलन उर छाई।
कही प्यारी संग झूलन जो आवौ।नार परब बनि नार मनावौ।
अति व्याकुल पिय मानै बाता।लगा पिय सखिन सजावन ताँता।
नथ बेसर टीकौ माँग लगाईँ।सर चूनर दिठौना कपोल सजाई।
कही श्यामा सखी मुरली का करेगी।दीजौ सखी सो चौकस धरैगी।
संग बैठे दोउ सखियन भाँति।निरख भई शीतल सखी छाती।
बारि-बारि सखी संगै झूली।उर कलियन सबकी अज फूली।
भौर ते साँझ भई झूलत ही।झूलत झूलत नाही भरत जी।

दोहा--तीज निराली कुंजन को,पिय प्यारी संग होई।
"प्यारी"सखी सहेली संग,दरश चहै नित योई।

***

माई री! मै तौ प्रेम की हाट बिकी।

बन्यौ खरिदार आयौ ब्रज कौ ठाकुर,ताई री! मौ पै वाकी नजरिया टीकी।

मिलै नैननि द्वौ नैन मैरे वाकै,कहू री! कहा तऊ मौरे मन पै लगी।

मै ही बिकी अरू मौल दी मै ही,हाय री! ऐसी बिक्री कबहु ना सुनी।

बेची सरबस "प्यारी" उन कर दीन्ही,अब री! जग देवन कौ माटी बची।

***

रस भरै परै रस की सैजा।
खुलत पट रहे मिले ओर गाढै,मिलिकै दोऊ हुए एक तैजा।
सरकत सेज सो सरकि गई चूनर,लटकि गई पट पिय प्यारी अंसा।
छिटकै छूटै से बल वेणि कै,"प्यारी" डगमग चलै दोउ हंसनि हंसा।

***

नाहि कुंजन मे ऋतु ठौर।
कहि ना सकै कब फागुन सावन,लगि जावै कब अमुआ बौर।
अवधी ना कोई नाय कोई सींवा,रहै कब लौ कौन को जोर।
मन भावित उपजै सोई सम्मुख,चलै भाँति हिय गति द्वौ किशोर।
"प्यारी" विनत कर विनति योई,करै सुख सेवा योई निशि भौर।

***

बैठे कुमुद बीच बनै सौरभ।
शत-दल पंकज वृहत अति भारी,बीच तेज पुंज जाकौ गौरव।
सुधै बाल दोऊ सहज अति न्यारै,बैठे लिपटै भए एक द्वौ-रस।
मुंदै दोउ दृगन अधर रस मुस्कन,देखि प्रेम सीँवा परै कौ-रस।
धन धन हित धन उन दिए नैनन,"प्यारी" धन धन गावै जोरि यौ-रस।

***

जोई मिलावै रमण सौ,चालू पथ सोई।
होवे अगन कौ या कंटक भरयोई,मिलै दरिया डूबिकै तौ,पल सोचू क्योई।
मीठी छाम हौ या जेठ दुपहरी,घन बरसै गरजै या,द्युति नभ होई।
शीश कटै मिलै धर कर उपर,कुल-नाशी कहाय मिलै,जानू सस्तोई।
जग सौ हटिकै या सुनिकै ताने,मिलै माटी होय तऊ,तजू देह योई।
हसिकै रोईकै या मानिकै रुठिकै,जेसौ"प्यारी" पिय मिलनौ हो,दीजौ राह वोई।

***

रसिकनि! झूलत पिय भुज झूला।
भुज पिय की बनी डोरि को,बांधत अंसनि शाख तरु मूला।
पाट हथेली पै ढुरी आधी सी,पकरत बाँह ग्रीवा बनी डाली।
हिय गति पिय झौका पौन कौ,नैनन फँसै बैठे रहे खाली।
पियहि झुलावत झूलत प्यारी जु,"प्यारी" अघे ना लख लाल लाली।

***

छुपा लो मोहै राधारमण नैनन।
जग सौ चुराकै पलक ढाँप लौ,भावै ना हमे अब जग मे रहनन।
भरि निज नैनन भीतर समा लौ,समा लौ भाँति स्वास प्राण जैसन।
रहवै निशान ना जग नाम मेरौ,पुकारै मोहे नाम सौ तेरौ सब जन।
बिनती जे अंतिम"प्यारी" दासी मानौ,बाद याकै बच्यौ ना कछु कहनन।

***

अहो!सुनौ ललितै पिय प्यारी सखी।
कर जोरी तौसो अरज करत ह्यौ,देओ पुनि नैनन जिन जोरि लखी।
प्रेम भाव जग पुनि फैरो ह्यो,लिजौ ललित लडैति सुख टहल रखी।
जग भीर भारी रली दासी तौ,खोजो डाँट डपट राखौ संग सखी।
बल किरपा तोहरे दासी कहाई ह्यो,वैसो किजौ अनुगत निज "प्यारी" सखी।

***

बींद म्हारौ राधारमण प्यारौ।
श्यामल तन अति सुघढ सलौनो,मछरी से नैनन रस वारौ।
बंशी अधर धरै लकुटी रंगीली,टेढी कटि पग टेढौ धारौ।
मनहर मुस्कनि कुंजन वासी,जगत मे सबसोई भयौ न्यारौ।
जनम जनम कौ बींद"प्यारी"येई,बींद साँचौ राधारमण म्हारौ।

***

सदा प्रणमऊ हित हरिदास।
रस रीति जोरि उर दीन्ही,कियौ चरणनि कौ दास।
भजन नाम बिनु साधन गुणकै,बल किरपा कियौ खास।
विरथ जात जन्मनि कियै सुथरै,करी अमोलक सबई स्वास।
गुणहीना गुण कहू इन कैसो,नाय शबद मोरैहु पास।
नैन झुकाए"प्यारी"इन करुणा,गावै जैजै हित हरिदास।

***

ब्रज,याद बहौत मोहै आवे री।
सुवासित रज वह यमुना शीतल,तरु हिर हिर पास बुलावै री।
चंचल खग वो वानर केलि,पौन रह रह जिय तरसावै री।
तपती धूप उर शीतल करती,शीत शीत को अतिही भावै री।
बोल बोलनि अरु नाचत मोरा,कारी बदरा संग पिय लावै री।
वाद्य गान जोरि घर-घर आँगन,प्यारो"प्यारीहु" ब्रज मे बसावै री।

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