कुछ तो बदले बदले से मिजाज-ऐ-प्यार नजर आते है,
आज तो खफा हमसे हमारे सरकार नजर आते है,
कही तो जा छुपे है नजर-ऐ-दिल से हमारी,
यूँ ही तो आज कयामत के आसार नजर आते है
चाँद फलक का है आज कुछ तो बुझा सा,
हम-से तारे भी इसी गम से बेजार नजर आते है,
ना जाने किस खता पे रूठ बैठे है हमसे,
कश्मकश आज इसी मे हम बेकरार नजर आते है,
ओर यूँ ना सताओ के अब हटा भी दो परदा,
की दीद- ऐ-दिलबर बिना हम तो बडे लाचार नजर आते है......
की दीद-ऐ-दिलबर बिना हम तो बडे लाचार नजर आते है......
"प्यारी"
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