॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥
‘मेरा भगवान्में ही प्रेम हो जाय’—इस एक इच्छाको बढ़ायें । रात-दिन एक ही लगन लग जाय कि मेरा प्रभुमें प्रेम कैसे हो ? एक प्रेमके सिवाय और कोई इच्छा न रहे, दर्शनकी इच्छा भी नहीं ! इस भगवत्प्रेमकी इच्छामें बड़ी शक्ति है । इस इच्छाको बढ़ायें तो बहुत जल्दी सिद्धि हो जायगी । इस इच्छाको इतना बढ़ाये कि अन्य सब इच्छाएँ गल जायँ । केवल एक ही लालसा रह जाय कि ‘मेरा भगवान्में प्रेम हो जाय’ तो इसकी सिद्धि होनेमें आठ पहर भी नहीं लगेंगे !
● श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज
Comments
Post a Comment