काहे ठुमकत सांवरो बालम ह्मार
चलत बने ना नाचण दीखावे प्यारो ह्मार
लटक मटक चलत बल पड़त कमरियां
मन थिर नाचत दरसन सूं काहे ढुलत गगरिया
अति मनहर कसूरी केसर कस्तूरी नाभि महके
मृग हिय मृगन सु देहे काहे तन धरत वन वन फिरके
सुरख गहर लालित्त पदकराधर देखत कंजन सरवर मेघन जलधर लागत , फिके
जलचरी उर्वर्शी नैनन सूं फेकत कांटो अंखियन न मिलाओ री
या मीन भई मदिरा पिवत तब काहे अब गिणत सासन् री
साहिब हुए अब ह्मार महबूब
अब काहे काँपे ईश्काँ ख़ूब
अब न छुटत ख़ुमार दिल की
फेको मदिरा तलब न मद की
काहे दो दिन झुठो ज़श्न गावे दिखावे
दीदारे रात तक दिल ख़ूब ज़श्न मनावे
अश्क़ आहिस्ते पिया की याद बढ़ावे
दिल की ख़ुमारी कभी जुबाँ गुनगुनावे
कहे आशिक़ सदियोँ से सखी री
मेरा मेहबूब पिया रहे दिल विच जी
अपने पिया का घर सजाये लो सखियों
देखो पिया पलकें उठाने को है
दिल को समन्दर फैलाओ री सखियों
गुलज़ार सा हर क़तरा महकाओ री सखियों
दिल बसे साजन सलोने सखियों
ज़ख्म उस दहरीज से हटाओ री सखियों
हर सुबह शाम फिर ख़ुशबू छिड़को सखियों
सूखता गुल गुलजारे दिल से हटाओ री सखियों
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