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पद प्रिया प्रीतम प्रेम निकुँज

विचरहु पिय की डगरिया,
                 बसहु पिया के गाम!
पिय की ड्यौढ़ी बैठिकै,
                  रटहु पिया कौ नाम!!

हमारे जीवन,
            लाडली लाल......!!!!

जब सों मेरे मन मे उरझी,
            सांवरे की मुस्कान!
छोड़े जग जंजार सखी री,
           छोड़ दई कुलकानि!!

  अब कुलकानि तजे ही बनैगी...

जब सों मेरे मन मे उरझी,
            सांवरे की मुस्कान!
छोड़ जग जंजार सखी री,
           छोड़ दई कुलकानि!!

  अब कुलकानि तजे ही बनैगी...

जिय सूनौ, सूनौ हृदय,
           तन मन प्राण उदास।
भली भई तुम सँग गई,
         जीवन की सुख आस।।

सखी हौं रंगी श्याम के रंग.....

अब तौ तुम बिन दृगन में,
                   भरी रहैगी रात।
एक कहानी ह्वै गई,
            अब प्रभात की बात।।

सखी री श्याम करी निठुराई......

भई विरहणी श्याम की,
          मोहे और ना कोई भाये!
जाय कहौ मनमीत सों,
          मेरी बांह पकड़ लै जाय!!

रखौ हरि शरण गहे लाज.....


मोहन तुम्हरे प्रेम की,
       जली हृदय में ज्योत!
कृपा करो दिन दिन बढ़ें,
        भाव सिन्धु के श्रोत!!

जुगल के चरण परम धन मेरे.....

श्रीराधावल्लभलाल  दरसन  दीजै
श्रीवृन्दावन  कुंज  महल  में , सघन  लता  रही  छाइ  ।
गौर - श्याम  गरवाँही  मिली  दोउ , खेलत  है  सुख  पाइ  ॥
रास - विलास  नचत - गावत है , सुन्दर  वैंनु  बजाइ  ।
राधावल्लभ ' हित परमानंद ' , निरखत  छबि  न  अघाइ  ॥

      - श्रीहित परमानंददासजी

बेदरदी दर-दर फिरे,
             तुम कारन हम दीन।
खोजत तुमको ह्वै गये,
             हम ‘नवीन’ प्राचीन।।

हरि जी कब रे मिलोगे आय......

कहते हो तुम रोना रोना,
         पर अपने को तो रोना है!
तेरी चौखट पर रगड़ रगड़ कर,
            अपने मन को धोना है!!
नैनों की गंगा जमुना से तेरे,
     चरण कमल को भिगोना है!
तुम बनो ना बनो हमारे पिया,
       हमको तो तुम्हारा होना है!!

मै दीन हीन वृत क्षीण लाडली,
                  कछू नाहीं मेरे पास!
मैं कूकर तेरे द्वार कौ,
            मेरी एक तुमहि सों आस!!

मुख छवि निरखि गोपाल की,
                सखी कैसे धारूं धीर!
बिचरत डोलूं बृज बीथिन,
               मेरे उठै बिरह की पीर!!

कोई बांके पिया से मिला दे मुझे......

जब सों मेरे मन मे उरझी,
            सांवरे की मुस्कान!
छोड़ जग जंजार सखी री,
           छोड़ दई कुलकानि!!

  अब कुलकानि तजे ही बनैगी...

किशोरी मोहे चरनन में ही रखियो..
मैं हूँ भोग तुम्हारौ श्री जु..
नेक सौ मोकू चखियो..
किशोरी मोहे दास बना के रखियो..

तुम भोग्या मैं भोग प्रभु जी..
तीखौ फीकौ जैसो हूँ..
चख लीजो मोहे कृपा मयी तुम..
यही आस मै रहतौ हूँ..

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