प्यारी के रूप की चंद्रिका प्यारे के नैनन माहीं भरि जा रही .......प्यारे ते अधरन की मुस्कान प्यारी के नैनन माहीं ........शीतल रूप चंदनियाँ पिय ते हिय को ही नाहीं रोम रोम को शीतलता देय रही और पिय सुख मुस्कनिया प्यारी ते रोम रोम ते मधु को और .....और .....और मधु बनाय रही । रोम रोम प्यारी कू मधु को रस को और गहरो कुंड होई रयो .........जो रूप बन प्यारे ते नैनन में भरि जाय रयो ....अरि नाय री ! प्यारे ते दोउ नयन मीन हुये सुख ते विचर रये या प्रिया रूपरसकुंड माहीं .....रूप ते कुंड माहीं किलोल करते प्यारे ते दोऊँ चंचल नयन .......कबहुँ इत उत धावत .........जनयो या कुंड को छोर आज पाय ही लेगें .........पर हाय ! जे दोऊँ भोरे मीन जाने ना हैं री या रूपरासी का कोऊं पारावार ही नाय है .....बडी देर इत उत धावत थकि गयो ...अब बस सगरी चंचलता भूल डूबन लागे या के अतल तल मांही ..........प्यारी जैसे समेट लीनी अति नेह ते दोऊँ चपल नैनन कू निज अंक माहीं .......
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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