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प्यारी पद 3 , आँचल जु

रंगीलै प्यारे बिलसै एक होए।

एक तन एक मन एक रस द्वौ तै,सेज केलि लिपटै ऐसौ सोए।

इक मे द्वो द्वो मे दीखै इक से,ऐसो दोउ आपस प्रेम खोए।

नित नूतन नित वर्धित दीखै छबी,बाट "प्यारी" ऐसौ दरशन जोहे।

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पिय प्यारी कौ सुख सखी नेम-बरत।
तिरथ कुंज निकुंज पद इनके,माला भजन दोउ की सुखमय टहल करत।
बतिया रस इनकी सद्-सतसंग,होम हवन प्रेम को केलि सेज रचत।
ध्यान योग इन लीला दर्शन,भए आरत स्तुति गान रंग बरनत।
वर मोक्ष दोउतै एकई देखन,पुन दान मिलन हित इनके खेल खेलत।
नेम बरत "प्यारी" अबतौ येई,सुख पिय प्यारी कौ सुखसै एक हौवत।

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अजहु तौ भेजो आवन संदेसौ।
बित्यौ फागुन सावनहु बित्यौ,बीत गयौ सूनौ इकली ही रहसौ।
भावै मौहे ना साज सिंगारी,पिय बिनु दैवे ये मन कौ क्लैसौ।
सखिन सहेली के पियही लौटे,मैरो पिय जाने कौन देस बेसौ।
जबकै गए पाती ना आई,धीर धरा लेऊ कहो मन कैसो।
झूठ्यौ साँचो भैज्यौ संदेस जी,तऊ ही रही सकै "प्यारी" इस देसौ।

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कदली कुंज लाल लली बिलसै।
जुगल तरू देख अति मोदित,हिय चौप जगै नवी फिरसै।
धारै बसन पात अंग चिकने,पहिरै भूषण गल कुसुम केली।
बनी शैय्या हरै पत्रा की ही,बहु भाँति सौ सजाई सहेली।
छूवै हसै दोउ निरखै परस्पर,छबी आरसी ज्यौ द्वौ दीखै।
पिय प्यारी रंग सरबस "प्यारी",ओर सब रंग रस लागै फीखै।

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रंगीली! बरसी बन रस मेघा।
बतिया रसभरी सुनत वारी,नैननि कौर चलत शर रेखा।
लिपटी उरतै पियकै आपई,बैठी अंक आप पिय सैजा।
प्यासौ ढुरत कूप आजई,"प्यारी" अचरज प्रथमहु देखा।

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मानो तो एक कहू सरकार।
निकुंजनि निभृत रंगमगे ठाडौ,सुरति करै ठाडौ येई दरकार।
आपस पलटिकै सिंगार धारौ,निकसौ डग-मग चलै रंग द्वार।
दोउ तै एक हौवतौ जावौ,रस वपु एक दीखौ एक प्यार।
निकसै नैननि पुनिही आवौ,"प्यारी" दरश हित करत पुकार।

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पिय खंजन दृग अंजन लगै।
ज्यो कोउ द्वो मीन परस्पर,सिँधु पिये सिंधु मे पगै।
बदरा मे बिजुरी की भाँति,आनन पे दोउ आनि सजै।
शर सो लगै धनु के जैसे,अस्तर काम के इनसौ लजै।
"प्यारी" जाको लगे जाने वोई,जाकै यह लगिए ओर च्यौ भजै।

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दोउ नैननि चमकत अनगिन चंद।
रस विहरै अधिकाई प्रेम की,झरै रस नैनन-सौ आनंद कंद।
थके आरस डबडब भरै नैना,तऊ दीखै पीवन आपस द्वंद।
डूबे गहरी तरंग नैन की,फसै दोउ परिहै रूप के फंद।
बहुतई थोरि "प्यारी" किन्ही बरणन,कही परबत हितई चेटी छंद।

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माई मौहे राधारमण भावै।

घन सम रूप अनूप माधुरी,तीखै नैनन सैन चलावै।

कटीली कटि टेढी सी लकुटि,खडा पग टेढा सा ललचावै।

बंशी अधर सजी मारै मोहिनी,अंग अंग अमृत छलकावै।

अरी माय मैरो तो सरबस वोई,दूजा उर नैनन नाय आवै।

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बिछा पट पिय नै सेज रचाई।

भूमि बिछावनी कर पितांबर,भाँति बहु पुष्पनि सौ-दी सजाई।

सिमटी सकुची बैठी किशोरी,लिन्हे पद पिय नै गोद मे उठाई।

टीस सेवन सौ उठे अंतर मे,तऊ पिय मोद सौ भरि मुस्काई।

जई झनकानि सुनि नुपुर को,मोहित भए मोहन जग के साई।

शिथिल अंगनि भरे स्वेदा सौ,संभारि प्यारी लिन्हे उर तै लगाई।

नवल रंगीले प्रीतम प्यारी,"प्यारी" गावै प्रेम सुख इनको सदाई।

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परै लिपटै दोउ बात बहाने।
सहम द्युति कबहु ढुरै जावै,कबहु अलिन डर उर लिपटाने।
देत खग दाना कबहु डरपै,डरपेई माल भुज पिय पहिनाने।
जब बदरा सुनि भीतै प्यारी,हित ढांढस पिय हिय सौ लगाने।
बात बात दोउ गाढे लिपटै,"प्यारी" लिपटे सदाई दरशन चाहने।

*****

प्यारी चिबुक दिठौना प्यारौ।
कनक कुमुद दल उपरि परयौ,भ्रमर ज्यो सुध हारौ।
बला लेन हित प्यारौ प्रीतम,परयौ बनौ तिल कारौ।
ज्यू रैन अंधेरी सेवा भावतै,शरण लली मुख पाय।
"प्यारी" जनम भरि यौ गावू किरपा,कहि तिलसौ नाहि जाय।

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प्यारी झाँकि झाँकि पिय प्यास बढावै।
हस निरखै तीखै सैन करे,जोई पकरै पिय दूरि भग जावै।
पुनि दौरे पुनि हैरे हँसै,पुनि पकरन प्यारी पिय दौर लगावै।
पकरै पिय हित प्यास बुझानि,तऊ नाहि बुझे ओरि बढि जावै।
पिवै जितनोई "प्यारी" उतनोई बाढै,प्रेम गति यौ समुझ ना आवै।

रंग सदन तै निकसै किशोर।
रंग भरे रति चिन्ह दरशाते,चले दोउ करते नैन खिलोर।
भुज मैले गल परे परस्पर,खिले अधरनि हाँसी मधुर विभोर।
मुख खौले कदि लैवत जम्हाई,लैवे अंगराई कदि बदन मरोर।
निरखै पावै सुख सखी नैनन,"प्यारी" चहै नैननि अनत करोर।

*****

नील पीतई कुमुद से गात।
अंग अंग कलिका तरूणी नवेली,बरणत बनै नाहि बाणी सौ बात।
लागै कुमुद दोउ हिरतै पौना,लटपटै पग चलै जई बलखात।
मुस्कनि लागै गए खिलै थौरे,हसतोई लागै गए पूरे खिलै जात।
परागण कण "प्यारी" कुमुदा इनकी,चहै जँहा दोउ रहै छिट-कात।

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तरसत जिया बिनु दरसत पिया।
चैन पावै नाही पलहु बैरी,टौना जानै कैसो साँवल किया।
बिनु देखै तडपै देखेहु तडपै,तलवारी दुई धारी चालत हिया।
मानै परायै सब एकहु अपना,ऐसी डोर मन बाँध लिया।
परै सोच समुझतै बातहु प्रीती,"प्यारी" जगतै न्यारी प्रीती पिया।

*****

अरज सुनौ म्हारी गिरधारी जी।
कबहु तौ लिजौ बुला ब्रज मोहे,दीजौ खोलि भाग पिटारी जी।
नैन लडावू कदि मै भी तौसो,तोपै जावू वारी बलिहारी जी।
कहन सुनन मन की कछु करिलू,लिपट रौवू चरणनि थारै जी।
माखन सौ कोमल मन वारे रमणा,निठुर भए काहै म्हारी बारी जी।
हारै जे नैना रोए रोए म्हारे,हारी ह्यौ तौ तोहे पुकारी जी।
अबेर भई अब आवौ जी लैवन,मेटो पीर बिरहा "प्यारी" की।

****

पिय करै मनुहार।
पकरि कर सैज लौ लाए,प्यारी देओ नैन नैननि मे डार।
रस प्यासौ प्यारी नेक प्यादै,उर डारि देय मेरे भुज हार।
रसीली रस वर्षण उर करिदै,नाही करै कोउ बात कौ बिचार।
चिबुक पलौटे मनावै बहु भाँति,"प्यारी" रस तृषा पिय बाढि अपार।

****

मैरो राधारमण मै रमण की होई।

चूल्है पडै जग सारे रिश्ते नाते,नाता इनसे मैरो ओर ना कोई।

चूनर लाज को बह गई जमुना,लडै नैना मौरे रमणा से ज्योई।

लागै आछी लागै कोउ कौ ना आछी,कही बात साँची बींद मैरो तो वोई।

जग वाले सुनि लैवे धरिकै श्रृवणा,कहू बारि बारि "प्यारी" सरबस योई।

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बनै पिय जर्जर अति नारी।
कटि दोहरी टैके लकुटी,चलै डगमग से पग धारि।
केश धवल अंगनि सिकुडै,धँसी गए कपोल दुई भारी।
पूछी बात सखिन इनसौ,माल चहै देन भानु दुलारी।
झुकी बैठी लली अवनि,पिय माल लली उर डारी।
जानी बात हसी देखी,प्यारी पिय लए कंठ लगारी।
भेद खुलै पियकै सारे,"प्यारी" हसे दे दे मुख सारी।

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देखि भौर ही उठ बैठे सैजा।
अरूण नयन ढुरै गिरे से,लैवे मुरि मुरि कै अंगराई।
दोउ कौर आखिन देख हसै,ढुरै जानिकै करै चपलाई।
छाप अंगुरि प्यारी भुज देखि,पिय छाप कटि सोई पाई।
सुख पावै निरखि सब सखियन,"प्यारी" इन किरपा देखि आई।

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लाड लडावै लली तरू लगै कुसुमनि।
छूवै मुस्कावै देखै प्यार सौ,कर फैरे प्यारी फूल भरी टहनी।
देखत तितलिका श्याम पीत बरणी,पूछी बात भेजे पिय कहा कहनी।
लईकै पिय मौरे संगई आना,नातौ नाही बोलू तोसौ बात अपनी।
निकसै ओट पिय लता तरूतै,निकसै कहै लेओ लई आई सजनी।
हाँसी लजाकै लिपटी यौ पियतै,"प्यारी" भई मौन नाही सब बरनी।

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