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Showing posts from November, 2017

निधि की निधिन गाढ़ रस , संगिनी जु

Do Not Share ... "व्रज नव तरुणि कदंब मुकुट-मणि, श्यामा आजु बनी। नखसिख लौं अंग-अंग माधुरी,मोहे श्याम-धनी।।" साँझ ढली...नीलकमलदल पर गहरे कारे बादर घिर आए री...सावन की बूँद ने सिंगार कर दिया कनकल...

श्रीहरिनाम में अनुराग , बाँवरी जु

*श्रीहरिनाम में अनुराग* हे दयासिन्धु ! हे करुणाकर! गौरहरि आपने नाम संकीर्तन प्रकट हर हम अधम जीवों हेतु भगवत प्राप्ति को अति सहज कर दिया है। आपकी भक्त परायणता ,आपकी करुणा ,आपक...

अधर अरुण तेरे कैसे दुराऊं ... संगिनी जु

नवमधुकर नवलता के लिए आज नवलता में वीलीन हुआ नवलता को पुकार रहा ...कैसे...तृषित सखी री...आह...तृषित... ! जाने क्यों आज श्यामा जु कुछ मान किए हुए श्यामसुंदर जु से रूठ कर सखी संग प्रिय की स...

आपकी करुणा , बाँवरी जु

*आपकी करुणा* हे पतितपावन गौर हरि! आप अनन्त कोटि करुणामयी हो। आपकी करुणा का बखान तो  कोटिन कोटि जिव्हा लेकर कोटिन कोटि जन्मों में भी नहीं हो सकता। आपका नाम एक बार भी किसी जिव्...

*चपलांगी श्रीप्यारी नवघनदामिनि जु* भाग 2

*चपलांगी श्रीप्यारी नवघनदामिनि जु* भाग-2 *चपलांगी की नवरससारता* चपलांगी क्यों कोमलांगी रसीली लजीली वे तो...यही सवाल और यह नवभाव कहीं कुछ बेमेल सा लगता ना...पर है नहीं सखी... अति सह...

उज्जवल श्रीप्रियाजु , उज्ज्ज्वलस्मिता (मुस्कान) संगिनी

उज्जवल श्रीप्रियाजु उज्ज्ज्वलस्मिता (मस्कुराहट) Full Read नवीन शब्द यह उज्ज्ज्वलस्मिता... है न । मुस्कान प्यारी श्रीश्यामा जु की ...जीवन निधि श्रीप्रियतम की । ...नव भाव धारा श्री नि...