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मोहना रे ,बाँवरी जु

मोहना रे!
छेड़ो मुरली की तान
बहुत दिनन ते मुख न देख्यो अबहुँ मिल्यो आन
मोहना रे !

देखत गगन माँहि श्याम घन
अकुलावे प्रिय मेरो तन मन
पपीहा गावै राग मिलन को जिय जलत अगन समान
मोहना रे !

अम्बवा की डारी कूके कोयलिया
बैरन भई हाय मेरी पायलिया
छनन छनन छन घुँघरू बाजे रे काहे करे पियु मान
मोहना रे !

बिरहन की सुधि लेवन वारे
आवो मोहना बाँवरी पुकारे
तड़पत रहूँ दिन रैन साँवरो जल बिन मछरी समान
मोहना रे !
छेड़ो मुरली की तान
बहुत दिनन ते मुख न देख्यो अबहुँ मिल्यो आन
मोहना रे !

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