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Showing posts from June, 2017

आपसे दिल लगाया कभी तो सुनो अब जान निकलती है , बाँवरी जु

आपसे दिल लगाया कभी तो सुनो ,अब जान निकलती जाती है कितनी बेचैनी सी है इस इश्क़ की पल पल जो मुझे रुलाती है उठती हैं आहें रुक रुक कर ,जाने क्यों अरमान सुलगते हैं अश्कों का समंदर है...

मोहना रे ,बाँवरी जु

मोहना रे! छेड़ो मुरली की तान बहुत दिनन ते मुख न देख्यो अबहुँ मिल्यो आन मोहना रे ! देखत गगन माँहि श्याम घन अकुलावे प्रिय मेरो तन मन पपीहा गावै राग मिलन को जिय जलत अगन समान मोहना ...

युगल प्रेम तत्व , मृदुला जु

श्री युगल प्रेम तत्व श्री कृष्ण प्राप्ति की चिंतामणि श्री राधिका और श्री राधिका प्रेम प्राप्ति की चिंतामणि श्री कृष्ण ॥।समझने में नेक सो कठिन प्रतीत हो सकता परंतु यही स...

मैं क्या दूँ 2 , मृदुला जु

    मैं क्या दूँ मैं क्या दूँ ? इस प्रश्न के पीछे के कई भाव हो सकते हैं ॥ एक कि क्या दूँ पाने के लिये दूसरा क्या दूँ देने के लिये तीसरा क्या दूँ उनके सुख के लिये ॥ प्रथम भाव संसारी ...

मैं क्या दूँ , मृदुला जु

श्री राधा              मैं क्या दूँ अक्सर ये जिज्ञासा अनुभव में आती है कि श्री भगवान् कैसै प्राप्त होंगें अथवा श्री वृंदावन कुंज निकुंज की प्राप्ति किस प्रकार होगी । क्या ...

एकात्मकता श्री प्रिया लाल की , मृदुला जु

श्री राधा    एकात्मकता श्री प्रिया लाल की सब कहते हैं कि श्यामसुन्दर की वेणु श्री राधा नाम उच्चारती है ॥ वेणु तो नहीं सुनी री मैंने , पर तोसे कहुँ एक अनुभव अपना ॥ आज पिया के पा...

प्रीति की कलियाँ प्यारी सखियाँ , मृदुला जु

श्री राधा   प्रीति की कलियाँ प्यारी सखियाँ हलरावे दुलरावे नित प्राणों से लाड लडावे । निज प्राणों की प्रतिमाओं सी युगल छवि पर बलि बलि जावे ॥ युगल प्रेम के गीत ये गाती लहरात...

जौवन मद नव नेहरू मद रूप मदन मद मोद , संगिनी जु

"जौवन मद नव नेहरू मद रूप मदन मद मोद रस मद रति मद चाह मद उन्मद करत विनोद" रूनझुन रूनझुन पायलिया व कंकनों की सरकती रसध्वनि और श्यामा जु का लजा कर पलकों को झुकाना जैसे पवन के मंद झ...

जद्दपि प्यारे पीय कौं रहते है प्रेम अवेस , संगिनी जु

"जद्दपि प्यारे पीय कौं रहते है प्रेम अवेस कुँवरि प्रेम गंभीर तहाँ नाहिंन वचन प्रवेस" प्रियतम श्यामसुंदर श्यामा जु को अंक भर लेने को अति अधीर हुए जाते हैं तभी घन दामिनी जैस...

बदरा उमगि अँधेरी आई , संगिनी जु

"बदरा उमगि अधेरी आई बिजुरि चमक सोहायौ गरजत गगन मृदंग बजावत चात्रक पीयु पिक गायो" घणघोर काली घटाओं व चटकती बिजुरिया ने शांत भाव अपना लिया है।रस बूँदें थोड़ा छलक कर ही जैसे गह...