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अतृप्त प्रियतम , मृदुला जी

https://youtu.be/HIfu-btufWM

छबि भाव को सुन ... एक सरस् भाव ...

तुम कही रिकार्ड में किशोरी कह रहीं हैं मोहे श्यामसुन्दर हो गयो है सब कछु श्यामसुन्दर लागे किशोरी  ने ॥ सखि री क्या कहुं किशोरी को तो श्यामसुन्दर के अतरिक्त कछु दीखे ही नाहीं ॥ क्या युगल के दो विधु वदन मिलें तो ही मिलन उनका । नहीं री जाने है तू किशोरी को पल भर भी छोडे ही ना वो प्रेम मूर्ति श्यामसुन्दर ॥ अपनी प्यारी जीवन सार सर्वस्व के चहुं ओर न जाने किस किस रूप में रहवे है वो ॥ गगन बन अनवरत निहारें हैं समीर हो रोम रोम को मधुमय स्पर्श करे है नित्य ॥ चरणों के नीचे की धरा बनो रहवे ॥ वस्त्र बन लिपटो रहवे है वा से तो भूषण बन आलिंगन करे है नित ॥ सखिन बन आगे पीछे डोले है दिन भोर ॥ पुष्प , लता तरु पल्लव कोकिल मयूर शुक सारी और न जाने कहा कहा बन्यो  रहवे है वो रसिकशेखर प्यारी हित हेतु ॥ प्यारी को तो कहा कहुं ॥ वा की दृष्टि में तो श्यामसुन्दर के सिवा कछु दीखे ही नाहीं  कछु  सुने ही नाहीं कछु  स्पर्श में ही नाय आवे ॥ कछु  और भी है क्या कहीं श्यामसुन्दर के सिवा वा को तो पतों ही नहीं ॥।जाने है श्याम सदा सर्वत्र वा के संग यही जीवन प्यारी को ॥ नित्य बाहर और भीतर भी ॥ भीतर प्राणों में, श्वासों में सर्वत्र में प्रवाहित होतो रहवे है ॥ ऐसे अखंड मिलन की कल्पना भी चित्त में ना आ सके री ॥।प्यारी को समस्त संपूर्ण अस्तित्व अखंड नित्य श्यामसुन्दर सो संयुक्त रहवे है ॥ समस्त इंद्रियों से जो कछु  भी ग्रहण होवे है रस, रूप वाणी ,गंध ,स्पर्श सब रूप बस वही मनमोहन ही प्यारी के संग सदा ॥ फिर भी दोनो इतने तृषित रहते कि मिले ही नाहीं और पल पल बाढ़ें है ये तृषा एसो लागे है जैसो कबहुँ नाहीं मिले ॥।युगों से प्यासे ॥। अपार तृषा अपार लालसा

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॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग

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