जाने है सखि कल प्रियतम कहे , महकती रहो खिलती रहो पर बताऊँ तोहे मेरे प्रियतम का प्रेम ही तो महक है मोरी , प्रियतम का प्रेम ही स्पर्श है मेरा प्रियतम का प्रेम ही अधर रस है मेरा प्रियतम का प्रेम ही अगं कांति है मेरी प्रियतम का प्रेम ही संपूर्ण सौन्दर्य है मेरा प्रियतम का प्रेम ही लावण्य है मेरा प्रियतम का प्रेम ही मेरे एक एक आभूषण की मधुर खनक है । प्रियतम का प्रेम ही मति है मेरी प्रियतम प्रेम ही वृत्ति है मेरी ॥ जो कछु भी है मो में वो सब मात्र मेरे प्राण वल्लभ का ही मधुर प्रेम है प्यारी ॥उनके प्रेम से पृथक कुछ भी नहीं मैं ॥
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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