घनघोर काली रतिया
गहरी हल्की सी चाँदनी
सुनहरी चंदा को गोलाकार घेरे चंदा का आला जैसे प्रियतम
श्यामसुंदर की प्यासी निगाहों ने श्यामा जु की अद्भुत सुंदर रूप
माधुरी को घेर रखा हो और तनिक छन छन कर बिखरती चाँदनी
श्यामा श्यामसुंदर जु की मिलित सुनहरी कालिमा की मनोरम
आभा हो।अद्भुत रस चंद्राकार प्रियालाल जु कुछ संकोचित से
बिराजे हैं कि यकायक स्यामघन घिर आते हैं।यह स्यामघन कोई
और नहीं अपितु श्यामसुंदर ही हैं जिनकी रसतृषा तीव्र हो चुकी है
श्यामा जु को स्वयं में भर लेने के लिए।लजाती गौरवर्णा श्यामा जु
भी सुनहरी दमक लिए रस से सराबोर चटक रहीं हैं दामिनी सी
स्वयं को स्यामघन से एकरस हो बह जाने के लिए।आसमान में
घिर आए घन चंदा को अपने आगोश में लेने को रसातुर जिससे
चाँदनी छिटक कर यहाँ वहाँ सितारों के रूप में बिखर रही और
उनमें से टिमटिमाती रसधमिनियाँ सखीरूप इस अनोखी रस
करावली में डूबती संगीतमय जैसे झिलमिला रही हैं।
जय जय श्रीयुगल सरकार जु की !!
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