अति गहन गह्वर वन में अंधियारी रात्रि की छटा बिखरी सी है जहाँ प्रिय सखियों ने अद्भुत भव्य चाँद हिंडोरणे की व्यवस्था की है।ऐसे निकुंज में जहाँ प्राकृतिक चाँद का प्रवेश नहीं वहाँ इस चाँद हिंडोरणे की आभा प्रतिभा का क्या वर्णन हो।हिंडोरणे पर प्रियतम श्यामसुंदर प्रिया श्यामा जु संग गलबंहियाँ डाले मंद मुस्कान की छटा बिखरते परस्पर निहार रहे हैं।इस चाँद हिंडोरणे की चाँदनी इन श्रीयुगल के अद्भुत विशुद्ध प्रेम व रूपराशि के फलस्वरूप आभामंडल का निर्माण कर रही है।पुष्प समान बिखरी सखियों की टोलियाँ ज्यों चाँद हिंडोरणे पर सितारे रूप आभूषण व लटकन बंदनवार सुशोभित हो रही हैं।प्रियालाल जु रसमगे से ललाट व नयनों को मिलाए हुए चाँद हिंडोरणे पर विराजमान हैं और पवन सम सखियाँ इस रस हिंडोरणे को मंद गति से झुला रही हैं।
अद्भुत आभा इस रस राज्य की नयनाभिराम रस झाँकी जो प्यासे दृगों की सूखी बंजर कोरों पर रसबूँद बन इन्हें नम व हरित रस छींटों से डबडबाती चंचलता चपलता से मुस्काती प्रेम सींचिंत रस से झलकाती छलकाती हैं।
जय जय श्रीयुगल सरकार जु की !!
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