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लीला रस 4 , संगिनी जु

निकुंज में विराजित श्यामा श्यामसुंदर जु परस्पर सुखदान करते रूप माधुरी का नयनों से रसपान कर रहे हैं।तभी अचानक श्यामसुंदर प्रिया जु की ओर निहारते हुए उन्हें अपने हाथों से आभूषण पहनाने लगते हैं।श्यामा जु प्रियतम श्यामसुंदर जु को आभूषण पहनाते हुए देख रहीं हैं कि तभी श्यामसुंदर अपना पीताम्बर श्यामा जु को औढ़ा देते हैं जिसके धारण करते ही श्यामा जु को जाने क्या सूझी कि वे एक एक कर आभूषण उतार देतीं हैं।इधर श्यामसुंदर जु पहनाते जा रहे हैं और श्यामा जु उतारती जा रहीं हैं।श्यामसुंदर जु अपनी प्रिया जु की इच्छा जानते हैं पर यूँ ही रसवर्धन हेतु खुद को रोक नहीं पाते और वंशी को अपने अधरों पर धर मधुर तान छेड़ देते हैं और श्यामा जु अपने कंठ से लिपटे आभूषणों को स्वयं से अलग करतीं हैं और प्रियतम श्यामसुंदर जु के विशाल वक्ष् पर अपना मुखकमल रख आँखें मुंदे सुसज्जित होतीं हैं।
        अद्भुत रसस्कित युगल जोड़ी जहाँ नीलवर्ण श्यामसुंदर जु के वक्ष् पर पीताम्बर औढ़े श्यामा जु इन तृषित नेत्रों की दरस तृषा निरंतर बढ़ा रही हैं।

जय जय श्रीयुगल सरकार जु की !!

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