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Showing posts from July, 2017

कैसो सजीलो सजो हिंडोरो , संगिनी जु

श्रीकुंजबिहारी श्रीहरिदास कैसो सजीलो सजो हिंडोरो रस रास रसीलो रसभींजो रसमग्न रसिक हियो अनुपम अनुराग छल्क रह्यौ अनुदान प्रेम कौ होय्यौ रसिक अनन्य आँखिन सौं झुलावै उब...

पांति पिय को प्यारी की , मृदुला जु

पांति पिय को प्यारी की श्यामसुन्दर जीवन मेरे परम जीवन आह ...प्रियतम ॥ रसधाम मेरे जीवन उर सार प्यारे । आज तोहे पांति लिख रही हूँ प्रियतम ॥ श्याम तुम सदा मो में प्रेम ही देखते पर ...

पिय सुख तृषा श्रीराधा , मृदुला जु

पिय सुख तृषा श्री राधिका निकुंज महल की रस सेज पर रस युगल परस्पर आलिंगित जैसे नील पीत कमलों का समूह आपस में उलझा हुआ सा लिपटा हुआ सा अपनी दिव्य आभा से पूरे कक्ष को आलोकित कर रह...

बसुं तोरे नैनन में नन्दलाल , मृदुला जु

बसुँ तोरे नैनन में नंदलाल बसुँ तोरे नैनन में नंदलाल कौन कह रहा ये विचित्र सी बात ॥ बसो मोरे नैनन में नंदलाल तो सुना है पर ये कि मैं तुम्हारे नैनों में बसुँ  ये कैसा भाव हुआ ! ये ...

कदा करिष्यसि मां कृपा कटाक्ष भाजनम् , मृदुला जु

कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम् आज श्री कीर्ति कुमारी के मुखमंडल पर कुछ उदासी सी छायी देखकर वृषभानु बाबा अति लाड से पूछ रहे हैं लली का भयो है । आज तोरे मुख पर चिंता क्य...

द्वेत अद्वेत , मृदुला जु

द्वेत अद्वेत श्यामसुन्दर का सुख उनका रस श्री श्यामा ॥ इस भाव का इस कथन का मर्म है क्या ॥ हम मायिक जीव कभी अद्वैत की कल्पना कर ही नहीं सकते ॥सदा द्वेत ही चित्त में प्रकट होता ह...

हे कृष्ण हे कृष्ण हे कृष्ण , मृदुला जु

हे कृष्ण हे कृष्ण हे कृष्ण हे प्राण पति हे प्राण वल्लभ हे प्रियतम हे जीवन धन ॥हे प्रेम मेरे हृदय में समा जाओ न प्यारे कि मैं तुम्हें पाकर तुमसे प्रेम कर सकुँ ॥ प्यारे तुम ही प...

परम कौतुकी नन्दकुमार , मृदुला जु

परम कौतुकी नन्दकुमार धीरे से अपने कोमल चरणों पर उचक कर विशाल कमल दल लोचनों से हृदय मंदिर में झांकते ये नवघन सुंदर नीलमणि ॥ आहा विशाल रसीले रसपगे रस छलकाते जिज्ञासा से भरे न...

पिपासा , तृषित

पिपासा एक बात कहुँ , तब अगर पागल कर देते तो कम से कम यह कसक तो रह जाती कि वजह क्या है ?? पिपासा जितनी पुरानी होती उतना उसका नशां महका देता । एक दौर कैसा था भीतर आग सुलगती दर-दर तुम्ह...