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मेरे प्राण नाथ श्रीस्यामा

रहौ कोउ काहू मनहि दियै

मेरे प्राण नाथ श्रीस्यामा , सपथ करौं तिन छियैं

जे अवतार कदंब भजत हैं , धरि दृढ व्रत जु हियैं

तेऊ उमगि तजत मर्जादा , वन-विहार रस पियैं

खोये रतन फिरत जे घर-घर , कौन काज ऐसै जियैं

( जय श्री ) हित हरिवंश अनत सचु नाहीं , बिनु या रजहि लियैं !!

यहाँ श्री राधाजु को प्राण नाथ शपथ पुर्वक घोषित किया गया है !

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