मानस सेवा को नेम भलो
नाना रस सु रसरसिका सेवत
निज कर सु मुख भोग पवावे
अधरामृत लगो कर चाटत जावे
कबहुँ दोउन लाड सु पवावे
कबहुँ दोउन का लाड सूं पावे
कबहुँ युगल निज निज आरोगई
कबहुँ लाली कंज लालन अरविन्द सूं पवाई
दोउन सन्मुख होत सेवा भोग संग पावे
कबहुँ निज कोर मोहि महा प्रसादी पवावे
सरस सरिल पुनीत मनोहर दरस निज रस पायो
नित नित रूचि नाना बिधि भोग लालस बढ़ायो ।।। तृषित ।।।
सांवरे साजन की सलोनी सजनी जी मोरी
मनहर रूप की मनबसत नटवरि प्यारी
अति कोमल वादन सु पुलक ठुलक नाचत हंसनी
कृष्ण भँवर मकरन्द कुमल अधरन भिनी भिनी गावत मोहिनी
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