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एकहु बार प्रगटाय ल्यो

[10/30, 21:51] Satyajeet trishit 2: ऐसे सन्त भी हुए जो जै जै को भजन में बाधक कह चुप करा दिए ।
न बोले जब तक एकहु शब्द न बोले यो । बोलन लाग्यो तो कबहुँ रुके न रुकेगो । बहुत भरयो है यांको हिय । कोई सुणनो न चाहवे न । बहुत ।
सब काज छुड़ाय बस सुनत रह्यो । मिलत देखि ल्यो । पगलन से भी पगलन है । ऐसो ऐसो ख्याल करे । टाबरन सो नन्नो टाबर । रोवन लागे चुप न होवे। एकहु जगत और टिकाये दियो । कोई बात करणो चाहवे रूठ बैठ जावे । घना नखरां । सारन जनमन की कसर निकाल लेवे । सोवन न देवे । खाबन न देवे । का कहू । ऐसो बावलों है ।। बस एकहु बार प्रगट हुयो । कबहू न जावे । घणो लाड करे ।
[10/30, 21:51] Satyajeet trishit 2: भला जा ने न दिखत । दिखत न देखत बनत । न मरत । न सम्भलो जावे । एकहु बार मिल ल्यो । इतनो नेह करत है पलक झपकन से खीज जावे । आप देय आप ही रूठे ।
[10/30, 21:51] Satyajeet trishit 2: नेह चाहवे । सबन के हिय रहत । प्रगट होय खेलन चावे । खूब रस भरयो है।  पल पल कहत बात करत रह्यो है कि जाऊ । सारा जोग छुड़ाय कहे बातन सुन । बातां ऐसीं का कहू । ग्यो वो काल । अब धुंधलो बचो है । सबन पहली बताय सारो मजो कीर कीरो करे  । का बोलन चाहू का बुलाय देय।  बहुतन से छुड़ाय दियो । पगला सिद्ध करत । बस या कहवे मेरो ही रह्वे । दूजो देखत न सुहाय । एकहु बार या की लपलपाती जिह्वा को दर्श कर ल्यो । तबहु समझ आवेगो । काहे डंडो खायो है । ऐसो नेह होवे का । करणो चाहियो घर कलेस में पटक काहे । भगय दयो । रोवत रह्यो । पगलाय दियो । प्रेम कबहू सयानो न भये । और यांकी वाणी सुन ल्यो ऐसो कौतुक सूझे के बस । फसाए दे । भलो हुयो किशोरी जु को प्रगट भई आपणो प्रेमी सम्भाल लेवे । वरन् न सम्भालो जावे । बड़ो भावुक है  । सरल ह्वे । कोमल ह्वे । और थोरो सो उत्पाती । उत्पात बड़ो चोखो लगे ।

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