प्राप्त होगा । उसे भी जिसने बिस्तर पर लेट कर नाम लिया । उन्हें भी जिन्होंने सरकंडों के बिस्तर पर भजन नही छोड़ा । उन्हें भी जो नियमित सच्चे साधक हो भजन किये ।
सबको मिलेगे । किसी को ऑटोग्राफ । किसी को संग डिनर । कोई सर्वेंट । और कोई और भी करीब ।
भावना की बात है । गहरी भावना हो । जैसे रसिक अकेले कान्हा से भी राजी नही । युगल हो ।
प्राप्त शांत समाधिस्थ को भी होंगे पर जैसा भजा वैसा । निर्विकल्प निर्गुण ब्रह्म । कोई अहसास नही । बस आत्मा परमात्मा में घुल जायेगी जैसे चासनी में एक बून्द । नदी में अँजली भर जल । कोई अहसास नही ।
जैसी विधि जैसी प्यास उतनी तृप्ति ।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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