सखी री महारस दायी ये प्रेम वियोग वियोग आहा वियोग .....॥ प्रेम की पराकाष्ठा तक सहज ही पहुंचाने वाला परम वरेण्य है वियोग ॥ संयोग और वियोग प्रेम के दो पात कहे गये हैं पर लागे है कि व...
श्री राधा श्यामसुन्दर आहा .......श्यामसुन्दर ॥कैसे होते होंगे न हमारे श्यामसुन्दर ॥।प्रेम रस के साकार विग्रह हमारे प्रियतम ॥सब कहते हैं गोपियों के श्री प्रिया के पूर्णतम आध...
श्री राधा प्रेम तत्व प्रेम कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार जिस प्रेम को जानता मानता अनुभव करता वह वास्तविक प्रे...
श्री राधा कदा करिष्यसीह मां कृपाकटाक्ष भाजनम् कैसै हैं श्री प्रिया के श्यामसुन्दर ॥।हमारे भी कहा जा सकता था पर हमारे श्यामसुन्दर को तो हम अपने प्रेम रहित भाव रिक्त हृदय ...
श्री राधा श्री प्रिया श्रृंगार श्री प्यारी को अदभुत श्रृंगार क्या कहा जावे ॥ प्रियतम निज करों से श्यामा को अदभुत सजावें हैं नित् ॥ तो क्या आभूषण वसन से सजावें हैं प्या...
श्री राधा रस और प्यास रस ही प्यास है और प्यास ही रस ॥कितना विचित्र प्रतीत होता है न । रस और प्यास एक कैसै । जगत में सदा दै्वत ही चहुंओर परन्तु श्री युगल के प्रेम राज्य में दै्व...
सखी आज एक अपने निकुंज द्वार पर बैठी श्रीयुगल जु की बाट जोह रही है।तनिक विलम्ब से उसकी विरह दशा कुछ गहरा रही है।प्रियालाल जु आते होंगे यह जान सखी खुद को संवरित रखती सम्पूर्ण ...
अति गहन गह्वर वन में अंधियारी रात्रि की छटा बिखरी सी है जहाँ प्रिय सखियों ने अद्भुत भव्य चाँद हिंडोरणे की व्यवस्था की है।ऐसे निकुंज में जहाँ प्राकृतिक चाँद का प्रवेश नही...