ऐसी कृपा करो श्री राधे सदा मैं ब्रज में
बसा करूं।
चुन चुन के श्रंगार बनाऊं तुलसी पत्र की
माल बनाऊं,
यमुना जल पखार के नित मैं कुंजन बसा करूं।
सब भक्तन को शीश नवाऊं ब्रजवासिन की
जूठन खाऊं,
प्रिया प्रीतम के यश को गाऊं यही मन
चाहा करूं।
नंदगांव बरसाने जाऊं भानु खर में मल-मल न्हाऊं,
गहवर वन और खोर सांकरी रज तन लसा करूं।
गोवर्धन परिकरमा लगाऊं मानसी गंगा गोता लगाऊं,
स्वर्ग लोक वैकुंठ न जाऊं चरणों में बसा करूं।
श्यामा-श्याम के चरण मनाऊं सखियों को नित शीश
नवाऊं,
'कृष्णानंद' भक्ति वर पाऊं युगल छवि लखा करूं।
ऐसी कृपा करो श्री राधे सदा मैं ब्रज में
वास पाऊं।
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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