मैं तोहे ना पुकारूँगी पिया
सुन कबहुँ तो कलेजो तेरो पिघलेगो ।
कबहुँ तो पतितन पर कोमल कर तू फेरेगो ।
आयेगो तू पिया जबहिं , तबहिं मोको और विरहन भरेगो
आये तो संग राखियो , दरश देय पुनि पुनि न भागियों
सुन री सखी , तू पुकारेगी ,वो आवेगों ।
निहारत निहारत छुवन लागे तब भागेगो ।
तब कलेजो तेरो फाटेगो , पाषाण हिय तब हिम सम धारा सम बहवण लागेगो ।
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