श्यामसुन्दर जु श्यामाजु के श्री कमल हस्त मे कगन पहरा रहै है।दोनो के नयन कगन पर ही टीके है।
इस कगन मे लगे रतन मनिको मे युगल एक दूजै के नयनो को निहार रहे है।श्यामसुन्दर जु इन्हे प्यारीजु के नयन जान उलझे है और प्यारीजु इन्हे लालजु के नयन जान।
प्यारी प्रीत की ऐसी अनोखी रीत को कौन समझे,जहाँ युगल के नयन दो न होकर एक ही है।
पहिरावत कंकन कर राधा,रस आनंद अतुल हिय बाढै।
रतन मनिक जडत कंकन ही,नैनन दुई छबि नैनन गाढै।
इत्त राधा मोहन नैन देखे,उत्त ककंन नैन मोहन लागेै।
समुझ परै कौन प्रीत कौ रीती,प्यारी नैनन मिले एक भये हागै।
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