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अधरसु अधर , आँचल जु

युगल सरकार रसमत्त हुए अधर पर अधर धरै बैठे है।दोनो परस्पर इतने गाढ आलिंगित है की दोनो की पलके आपस मे उलझी हुई है।
किंतु तब भी श्यामसुंदर ओर गहन आलिंगन मे होने को व्याकुल है और तब दोनो के अंग परस्पर एक दूसरे के अंग मे समाने लगे है।
हमारी युगल जोडी....

अधर सु अधर रस पीबत,नैनन सु नैन रस पीवै।
दोऊन मद सौ ढुरै जात नैना,चहै नैन अधर संग जीवै।
गहन अंक भरि लीन्ही लली,दुई पलक सौ पलक मिलिहै।
अंग सुअंग भरै जात ऐसौ,दुई छबि रस भरि एक करिहै।
ऐकौ प्राण देहि हुई ऐकौ,ऐको प्यारी रस हिय हुईहै।

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