Jai shree krishna
✅ प्रेम के विषय - श्री कृष्ण ✅
▶ दो बात हैं : एक है विषय, दूसरा है आश्रय
▶ प्रेम के एकमात्र विषय हैं - श्री कृष्ण, दूसरा कोई है ही नहीं
▶ अर्थात प्रेम यदि हो सकता है, तो कृष्ण से ही हो सकता है. = विषय
▶और जो प्रेम करता है, वह है आश्रय = राधाजी , आप, हम, अनेक संत, भक्त.
▶ कृष्ण के अतिरिक्त यदि हम किसी से प्रेम करते हैं तो शास्त्र कहता है कि
▶वह प्रेम है ही नहीं, हो भी नहीं सकता, क्योंकि प्रेम के एकमात्र आश्रय कृष्ण ही हैं
▶ ठीक वैसे जैसे मिटटी के बिना 'मिटटी का बर्तन' बन ही नहीं सकता,
▶ मिटटी के बिना बनेगा तो वह 'मिटटी का बर्तन' नहीं होगा.
▶ तो फिर हम माता-पिता , भाई - बहिन या पति - पत्नी या
▶ लड़का - लड़की से जो प्रेम करते हैं, वह क्या है ?
▶ वह प्रेम नहीं ; 'काम' या कामना है, इसीलिये ऊपर लिखे ये समस्त प्रेम टूट जाते हैं, और
▶ कृष्ण से यदि प्रेम हो जाय तो आज तक किसी का न टूटा है, न टूटेगा
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
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